हास्य–व्यंग
मुझे कोई रिश्वत क्यों नहीं देता\
तू उनसे ही पूछ
बेटा: पिताजी।
पिता: हां
बेटा।
बेटा: रेल मन्त्री पवन बांसल जी का भान्जा
रिश्वत के
मामले में गिरफतार हो गया है।
पिता: यह तो
बेटा बहुत बुरा हुआ। बांसलजी तो बहुत नेक इन्सान हैं और बड़े सुलझे हुये वकील।
बेटा: तो क्या
उनके भान्जे ने भी उनसे इस बारे कानूनी सलाह ली होगी\
पिता: बेटा, वह उनका भान्जा है, इसलिये सलाह तो ले ही
सकता है। पर इतना अवश्य है कि वह कभी किसी को गलत सलाह
नहीं देंगे।
बेटा: पर पिताजी वकील का तो पेशा ही ऐसा
है कि वह
गुनाहगार को कानूनी दावपेच सिखाता है कि वह कैसे गुनाह कर कर भी बच सकता है और
निर्दोष को भी सलाह देता है।
पिता: यह तो
बेटा है ही। इस कानून का यही तो गोरखधन्धा है।
बेटा: पर
पिताजी, बांसल साहिब ने कहा है कि मुझे उससे कुछ लेना-देना नहीं है। यदि उसने कुछ
ग़लत किया है तो उसके लिये वह जि़म्मेवार नहीं हैं।
पिता: यह बात तो
बेटा है। रिश्वत ली या न ली वह तो उनके भान्जे ने न। तो उसके लिये वह कैसे
कसूरवार\
बेटा: पर पिताजी रिश्वत उसे ही क्यों दी गई\ कोई मुझे क्यों नहीं दे
जाता\
पिता: तू बड़ा मूर्ख है। भला तेरे को कोई क्यों रिश्वत देगा\ तू कोई मन्त्री है या कि
तेरा बाप या दादा कोई बड़ा सरकारी नेता\
बेटा: इसका मतलब तो यह हुआ कि उसे भी रिश्वत इस लिये दी गई क्योंकि
वह एक मन्त्री का भान्जा है।
पिता: बेटा, इन टेढ़े-मेड़े सवालों में मुझे मत फंसाया कर। मैं कुछ नहीं
जानता। तू उनसे ही पूछ।
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