Monday, October 25, 2021

JIO silent on its promise

It was more than four years.back when tJIO launched a mobile for Rs 1500 with a promise to get back the instrument for the same amount, I.e.Rs 1500 after 3 years. The three years period was over last year but JIO remains silent on its promise. This amounts to cheating the consumer/buyer. Wll the JIO wake up to its unfulfilled promise? Nonfulfilling of its.promise puts a question mark on its credibility too.

Saturday, October 16, 2021

आओ सब चलें पालिटिक्स के नए तीर्थस्थल लखीमपुर खेडी व हनुमानगढ़ के दर्शन करने

हास्य-व्यंग आओ सब चलें पालिटिक्स के नए तीर्थस्थल लखीमपुर खेडी व हनुमानगढ़ के दर्शन करने बेटा: पिताजी| पिता: हाँ, बेटा| बेटा: पिताजी, आप उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खेडी नहीं जा रहे? पिता: क्यों? बेटा: अनेकों नेता व कार्यकर्त्ता वहां जा रहे हैं और आप कह रहे हैं कि मैं क्यों जाऊं? राहुलजी और प्रियांकाजी ने तो वहां जाने केलिए धरने तक दे दिये | पिता: अगर वह जा रहे हैं तो इसका मतलब यह नहीं कि मैं भी जाऊं? सब जाएँ? बेटा: पिताजी, ऐसा ही हो रहा हैं| सब नेता-कार्यकर्ता वहां पहले पहुँचने की होड़ में हैं| पिता: अच्छा? बेटा: पिताजी, पहले तो उत्तर प्रदेश सरकार और किसानों के बीच समझौता हो गया कि सरकार सभी 8 मृतकों को ₹45-45 लाख का मुआवजा देगी| उनके परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी भी मिलेगी| इनमें 4 किसान हैं, 3 पार्टी कार्यकर्ता और एक पत्रकार| घायलों को ₹10-10 लाख दिया जायेगा| दोषियों पर मुकद्दमा चलेगा और उन्हें सजा दिलाई जाएगी| इसके फलस्वरूप किसानों ने वहां अपना आन्दोलन समाप्त कर दिया| पिता: तो फिर झगडा क्या रह गया? बेटा: पिताजी, यह घटना स्थानीय थी और गाँव वालों ने आपस में बैठकर एक समझौता कर लिया जिसमें प्रदेश प्रशासन और किसान संगठन के नेता राकेश टिकैतजी भी उपस्थित थे| अब पोलिटिक्स वालों ने अपनी चाल चला दी| कह दिया कि इस समझौते से मृतकों के साथ न्याय नहीं हुआ| पिता: तेरा मतलब कि पीड़ित परिवार और किसान नेता राकेश टिकैत ने जो सुलह-सफाई कर ली वह गाँव के बाहर के लोगों को मंज़ूर नहीं है| तो उन्होंने क्या किया? बेटा: कमाल हो गया| पंजाब और छत्तीसगढ़ के मुख्य मंत्री अपने सरकारी जहाजों में उड़ कर आये और उन्होंने चारों मृत किसानों व पत्रकार के परिवारों को ₹50-50 लाख अलग-अलग से दे दिए| पिता: मतलब उन सबको एक-एक करोड़ रुपये और मिल गए? ₹45 लाख देने का इलान तो प्रदेश सरकार ने पहले ही कर दिया है| बेटा: बिलकुल| पिता: पार्टी के लोगो को भी? बेटा: उन्हें नहीं| शायद वह दूसरी पार्टी के थे| पिता: पर बेटा यह तो अन्याय और भेदभाव की मिसाल है| आखिर सब थे तो एक ही गाँव के जो मरे एक ही घटना में और एक ही कारण से| बेटा: मेरे को तो पिताजी इसमें पालिटिक्स की सुगंध आती लगती है| पिता: सुगंध नहीं बू| बेटा: पंजाब और छत्तीसगढ़ सरकार ने घायलों को भी अपनी ओर से कुछ दिया? पिता: नहीं| तब तो घायलों के मन में रह-रह कर यही अफ़सोस कचोट रहा होगा कि काश वह भी शहीद हो जाते और छप्पड़ फाड़ कर जो सहायता अन्य को मिली वह उनके परिवारवालों के भाग्य में भी आ जाती| बेटा: पिताजी, यही नहीं| पंजाब के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू दस हज़ार ट्रैक्टरों के लावलश्कर के साथ पंजाब के लोगों की ओर से उन चार किसानों की शहादत पर अपनी संवेदना प्रकट करने गए थे| पिता: और मैंने अखबार में पढ़ा कि पंजाब कांग्रेस प्रभारी और उत्तराखंड के पूर्व मुख्य मंत्री हरीश रावत तो 20 हज़ार ट्रैक्टरों के साथ इसी उद्देश्य से लखीमपुर खेडी पहुंचेगे| क्या वह भी अपनी ओर से और सहायता राशि देंगे? बेटा: नहीं| अगर वहां भी उनकी कांग्रेस सरकार होती तो वह भी अवश्य देते| पिता: कांग्रेस की सरकार तो राजस्थान में भी है| वहां के मुख्या मंत्री क्यों नहीं आये? उन्हें इस घटना पर दुःख नहीं हुआ? बेटा: वहां चुनाव अभी दूर हैं| दूसरे राजस्थान में दो दलित युवकों की मार-मार कर हत्या भी तो कर दी गयी है| पिता: महाराष्ट्र के मुख्य मंत्री भी नहीं आये| वहां भी कांग्रेस गठबंधन सरकार का अभिन्न अंग है| बेटा: वहां भी वही बात है| चुनाव अभी काफी दूर हैं| पिता: तेरा मतलब जनता के खजाने को सत्ताधारी दल के चुनावी हित केलिए उपयोग में लाया जा रहा है| लखीमपुर राजनीतिक धर्मस्थल केवल उन राज्यों व पार्टियों केलिए तीर्थस्थल बन गया है जहाँ चुनाव हैं, अन्य केलिए नहीं| बेटा: कुछ भी हो पर अभी तक तो ऐसा ही लग रहा है| पिता: जब अलग-अलग प्रदेशों से इतने ट्रेक्टर व कारें आ-जा रहीं हैं उससे तो ऐसा लग रहा है कि पंजाब और उत्तराखंड में पेट्रोल और डीज़ल सस्ता हो गया हैं| पिता: सस्ता तो कहीं नहीं हुआ है| मुझे तो ऐसा भी लग रहा है कि यह सारा शोर है राजनीतिक| एक ओर तो पेट्रोल और डीज़ल के दामों की बढौतरी पर बड़ी चीख-पुकार हो रही है और दूसरी ओर ट्रेक्टर-कारें अनेक प्रदर्शनों केलिए हजारों में लाई जा रही हैं| हाल ही में जारी आंकड़ों के अनुसार मोटर गाड़ियों की बिक्री भी बढती जार रही है| बेटा: तो फिर इन गरीब किसानों या कांग्रेस कार्यकर्ताओं के पास इतना धन कहाँ से आ गया कि वह लखीमपुर जाने-आने का खर्च बर्दाश्त कर सकें? तो इन किसानों को अमीर समझें या गरीब? पिता: जाने को तो उत्तर प्रदेश के अंदर से और अन्य प्रदेशों से भी बहुत सारे नेता अपनी पूरी शक्ति का प्रदर्शन करने वहां पहुँच रहे हैं| तो क्या वह भी ₹50-50 लाख और दे आयेंगे? बेटा: मुझे तो आशा नहीं लगती क्योंकि उत्तराखंड में तो कांग्रेस सत्ता में नहीं है| यह दरियादिली तो अपनी जेव के पैसे से नहीं सरकारी खजाने से ही दिखाई जाती है| पिता: पर बेटा मुझे ऐसा लगता है कि वह शहीद परिवारों से वादा कर आयेंगे कि यदि जनताजनार्दन ने उनकी सरकार बना दी तो वह ₹50 लाख तो क्या उससे भी ज़्यादा की मदद कर देंगे| बेटा: इस में क्या नया है? हम सब मंदिर जाकर देवी-देवताओं से याचना करते है कि यदि हमारी कामना पूरी हो जायेगी तो यह करदेंगे/वह कर देंगे| पिता: बिलकुल सही| यह पालिटिक्स के लोग जनता के दरबार में यही तो दावा करते हैं कि यदि हम जीत जायेंगे तो ऐसा कर देंगे/वैसा करदेंगे| यह अलग बात है कि जीतने के बाद वह बहुत कुछ भूल जाते हैं| बेटा: अच्छा! अब समझा| तभी पालिटिक्स में व्यस्त लोग नवरात्रों में मंदिर जाने के स्थान पर लखीमपुर जा कर अपने आप को धन्य क्यों कर रहे हैं| पिता: अच्छा? यह बात तो ठीक लगती है| बेटा: एक कारण यह भी तो है कि तीनों राज्यों पंजाब, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में चुनाव होने वाले हैं| इसलिए यदि नवरात्रों में मतदाता की पूजा-अर्चना की जाये तो इससे बड़ा शुभ लाभ प्राप्त हो सकता है| पिता: बेटा, एक ओर तो नेता शोर मचा रहे हैं कि पट्रोल व डीज़ल के भाव बढ़ रहे हैं और सब इस महंगाई के नीचे दबते जा रहे हैं| किसान के ग़रीब होने और ऋण न चुका पाने के कारण आत्महत्या तक करने पर मजबूर हो रहे है| किसान आन्दोलन के कारण जनता शशोपंज में पड़ गई है| यदि यह नेता इस पट्रोल-डीज़ल को बचा लेते तो इस बचत से हज़ारों-सैंकड़ों किसानो का भला कर सकते थे| मेरे मन में तो एक विचार और आ रहा है| बेटा: क्या? पिता: लखीमपुर की पंचायत को उनके गाँव में प्रवेश करने वाले सभी श्रद्धालुओं पर प्रति व्यक्ति ₹100 और प्रति ट्रेक्टर-कार आदि पर ₹500 प्रवेश शुल्क लगा देना चाहिए| सभी खुश हो कर दे देंगे और इस धन से गाँव का भला भी हो जाता| बेटा: आपका विचार तो पिताजी बहुत बढ़िया है, पर देर हो गई| इतने में तो वहां जाने वालों का जमघट कम हो जायेगा| पिता: तुमने एक और बात सुनी? बेटा: कोलकाता में इस नवरात्री में दुर्गा माँ के पंडालों में पश्चिमी बंगाल की मुख्य मंत्री सुश्री ममता बनर्जी के भी बड़े-बड़े पोस्टर लगा दिए हैं जिनमें उनको दुर्गा मां के रूप में प्रस्तुत किया गया है| जब लोग ऐसे पंडालों में जायेंगे तो उनको ममता दीदी के इस रूप के दर्शन भी हों जायेंगे| पिता: मतलब टू-इन-वन| दुर्गा माता के साथ ममता दीदी के भी दर्शन| ऐसे ही कांग्रेस की महामंत्री श्रीमती प्रियंका गाँधी वडरा के साथ वाराणसी में हुआ| वहां भी उनके प्रशंसकों ने दुर्गा माँ के चित्र में मुखड़ा प्रियांकाजी का लगा दिया है| बेटा: इस बार कुछ अलग ही घट रहा है| पिता: बेटा भारत की पालिटिक्स में व्यक्ति-पूजा का चलन तो सदा ही रहा है| यह सब मामला व्यक्तिगत है| व्यक्ति की अपनी आस्था और मान्यता का प्रश्न है| हमें तो उसका सम्मान करना ही पड़ेगा| बेटा: पर पिताजी यह सिलसिला तो थमने का नाम नहीं ले रहा| अब तो लखीमपुर खेडी की तर्ज़ पर एक और प्रार्थना स्थल उभरने जा रहा है| राजस्थान के हनुमानगढ़ में एक दलित युवक की कुछ लोगों ने बुरी तरह लाठियों से पीट-पीट कर निर्मम हत्या कर दी है| पिता: यह घटना तो बेटा और भी निंदनीय और अमानवीय है| बेटा: अब इस पर भी यूपी के लखीमपुर की तरह ही बखेड़ा खड़ा हो जायेगा| फर्क केवल इतना है कि राजस्थान में कांग्रेस की सरकार है जबकि लखीमपुर में भाजपा की| पिता: इस पर भी पालिटिक्स सक्रिय हो गई है| कांग्रेस विरोधी तो अब पूछ रहे हैं कि क्या प्रियंका व राहुलजी वही ड्रामा राजस्थान में करेंगे जो उन्होंने यूपी में किया? क्या पंजाब और छत्तीसगढ़ के मुख्य मंत्री भी वहां जाकर उस दलित के परिवार को अलग-अलग से ₹50-50 लाख की राशि देकर आएंगे? बेटा: बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो सुश्री मायावती जी ने तो यह प्रश्न कांग्रेस पर कर ही दिया है| पिता: मैं तो नहीं समझता कि इसमें ये दोनों मुख्य मंत्री ऐसा करने से हिचकिचाएंगे ही| उन्होंने पैसे कौनसे अपनी जेब से देने हैं? जनता के ही खजाने से देने हैं, दे देंगे| बेटा: सिद्धूजी आदि नेता भी पालिटिक्स के इस नए तीर्थस्थल के दर्शन कर आये हैं| दो साल बाद उन्होंने राजस्थान से भी तो वोट मांगने हैं| पिता: पर बेटा यह क्रम रुकता तो लगता नहीं| ऐसी घटनाएं तो आये दिन होती ही रहेंगी| चलो जो भी होगा, ठीक ही होगा| ***