Showing posts with label किस्‍स ऑफ लव. Show all posts
Showing posts with label किस्‍स ऑफ लव. Show all posts

Sunday, November 9, 2014

व्‍यंग — जनतन्‍त्र में विरोध प्रदर्शन बस ''किस्‍स ऑफ लव'', बाकी पर प्रतिबन्‍ध

व्‍यंग
जनतन्‍त्र में विरोध प्रदर्शन बस ''किस्‍स ऑफ लव'', बाकी पर प्रतिबन्‍ध
   अम्‍बा चरण वशिष्‍ठ

बेटा:   पिताजी, आज बहुत मज़ा लूटा मैंने।
पिता:  अच्‍छा\ ऐसा क्‍या कर आया आज\
बेटा:   पिताजी, आज तो मैं बहुत ही खुश हूं, जैसे मनचाही मुराद बिन मांगे मिल गई हो।
पिता:  पर बता तो सही हुआ क्‍या\
बेटा:   मैं आपको बता कर गया था न कि मैं अपने एक दोस्‍त के पास जा रहा हूं।
पिता:  हां। तो फिर वहां क्‍या ऐसा करिश्‍मा हो गया कि आज तेरी बांछें ही खिल्‍ल गई हैं\
बेटा:   पिताजी, जब मैं अपने दोस्‍त के घर पहुंचा तो उसने कहा — चल, कहीं बाहर चाय पीते
हैं। ज्‍यों ही हम बाहर निकले तो कुछ लड़के—लड़कियां, पुरूष—महिलायें ''किस ऑफ लव' जि़न्‍दाबाद'' और ''मौरल पुलिसिंग मुर्दाबाद'' के नारे लगाते आगे बढ़ रहे थे। जब मैंने उनसे पूछा तो उन्‍होंने बताया कि कुछ गुंडा तत्‍वों द्वारा ''मौरल पुलिसिंग'' किये जाने के विरूद्ध वह एक संस्‍था के सामने एक-दूसरे को चूम कर विरोध प्रदर्शन करने जा रहे हैं।
पिता:  यह भी कोई विरोध प्रदर्शन का तरीका हुआ\
बेटा:   यह एक नई खोज है, पिताजी। उन्‍होंने कर दिखाया।
पिता:  तो उसमें तुमने क्‍या किया\
बेटा:   मैंने उसमें कुछ लड़कियों व महिलाओं पर नज़र दौड़ाई जो बड़े ज़ोर-ज़ोर से नारे लगा रही थी़। उन्‍हें देख कर तो हमारे मुंह में भी पानी आ गया। हमने एक दूसरें को कहा — बेटा, ऐसा सुनैहरी मौका पता नहीं तुम्‍हारे जीवन में फिर हाथ आये या न आये। हम भी ज़ोर-ज़ोर से नारे लगाने लगे। जब गन्‍तव्‍य स्‍थान पर पहुंचे और हमें विरोध प्रदर्शन का आदेश मिला, हमने भी अपनी मर्जी़ की युवतियों को गले लगाया और जी भर कर चूमा। सब आनंदित थे।
पिता:  बेटा, तो तुम यह भी जान लो कि कल को जब यह फोटों अखबारों व समाचार चैनलों में आयेंगी तो उन लड़कियों-महिलाओं के भाई-पिता-पति जूता मार-मार कर तुम्‍हें गंजा कर देंगे।
बेटा:   पिताजी, आप जैसे लोग जब ऐसी दकियानूसी बातें करते हैं तभी तो हम आजकल के नौजवानों को विरोध प्रदर्शन करने पड़ते हैं। आपको पता नहीं कि जब कोई वयस्‍क महिला या पुरूष अपनी सहमति से यह काम करते हैं तो यह न अनैतिक होता है और न ही आपराधिक।
पिता:  हां, यह तो तू ठीक कह रहा है।
बेटा:   पिताजी, मेरे को एक ख्‍याल आया। मेरा सुझाव भी है। हमारी सामाजिक व राजनीतिक संस्‍थायें भी अपने जनतन्‍त्र में अपनी मांगें मनवाने के लिये ऐसे हिंसक विरोध प्रदर्शन छोड़ दें जिसमें कि अंडे-टमाटर-ईंट-पत्‍थर बरसाये जाते हैं। उन्‍हें भी ''किस्‍स ऑफ लव'' के अहिंसक विरोध प्रदर्शन का आदर्श अपना लेना चाहिये जो भाग लेने वाली जनता और दर्शकों दोनों का ही मनोरंजन करे और सरकार भी मान जाये। बाकी सब विरोध प्रदर्शनों पर सरकार को प्रतिबन्‍ध लगा देना चाहिये।

पिता:  बेशर्म, मुझे क्‍या कहता है\ यह सुझाव उनको ही दे।                        ***
satta king chart