Sunday, May 26, 2013

फुहार तुम्‍हारे बचने की उम्‍मीद शत-प्रतशित (27-05-2013)


फुहार
तुम्‍हारे बचने की उम्‍मीद शत-प्रतशित
(27-05-2013)

एक व्‍यक्ति बड़े दिन से बीमार चल रहा था। कई अस्‍पतालों व डाक्‍टरों के चक्‍कर काट चुका था। अन्‍त में किसी ने सुझाया कि अमुक डाक्‍टर के पास जा और वह तुम्‍हें ठीक कर देगा। उसने ऐसा ही किया।

उस व्‍यक्ति ने अपनी सारी बीमारी डाक्‍टर को समझा दी। फिर बड़ी उम्‍मेद भरे शब्‍दों में उसने डाक्‍टर को पूछा, ‘’डाक्‍टर साहिब, मैं सचमुच बच आऊंगा?’’

डाक्‍टर ने बड़े उत्‍साहित होकर आश्‍वासन दिया, ‘’तुम्‍हारे बचने की तो शत-प्रतिशत सम्‍भावना है’’।

उस मरीज़ व्‍यक्ति ने खुश होकर बड़ी आशा के स्‍वर में पूछा, ‘’कैसे, डाक्‍टर साहिब?’’

’’तुम्‍हारी इस नामुराद बीमारी के दस में से केबल एक ही मरीज़  बचता है’’, डाक्‍टर ने समझाया ‘’और इस बीमारी के अब तक मेरे नौ मरीज़ मर चुके हैं’’।

(टाइम्‍स आफ इण्डिया में पढ़ा था)   



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