आज की फुहार
तुम्हारी
खामोशी परेशान करती थी
(11-05-2013)
''डैडी'', बेटी ने कहा, ''रात जब मेरा दोस्त मुझे
मिलने आया और हम आपस में बड़े ज़ोर-ज़ोर से बातें कर रहे थे, हंस-खेल रहे थे तो आप
परेशान तो नहीं हो रहे थे\''
''नहीं बेटी, तब नहीं'' पिता ने स्पष्ट किया,
''पर तब अवश्य जब तुम्हारे कमरे से काफी समय तक कोई आवाज़ नहीं आती थी। तब तुम्हारी
खामोशी मुझे अवश्य परेशान करती थी कि कुछ गड़बड़ तो नहीं है''।
(बहुत
पहले टाइम्स आफ इण्डिया में पढ़ा था)
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