भाजपा के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नद्दा
राजनीति
के क्षितिज पर जगत में प्रकाश फैलाता एक नया सितारा
— अम्बा चरण वशिष्ठ
20
जनवरी 2020 (20
की तिकड़ी) को भारतीय जनता पार्टी के दीनदयाल
उपाध्याय मार्ग पर स्थित राष्ट्रीय कार्यालय में सांय को एक नए प्रकाश की किरण
फूटी जब पार्टी ने श्री जगत प्रकाश नद्दा को पार्टी के 11वें राष्ट्रीय अध्यक्ष केलिए चुनाव निर्विरोध संपन्न किया| यह क्षण हिमाचल प्रदेश की जनता केलिए उतना ही हर्ष का विषय था जितना कि
समस्त देश के भाजपा कार्यकर्ताओं केलिए|
इस
चुनाव से हिमाचल की जनता और स्वयं नद्दाजी केलिए कई पहल स्थापित हुए |
हिमाचल केलिए यह प्रथम सौभाग्य है जब इस प्रदेश का कोई व्यक्ति
भाजपा के इस सर्वौच पद केलिए चुना गया हो| इससे पहले भी यह
प्रथम वार ही था जब यहाँ का कोई वासी केंद्र में राष्ट्रीय महामंत्री और संसदीय
बोर्ड का सदस्य बना हो| 2010 में तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष
नितिन गडकरी जी के कहने पर नद्दाजी ने हिमाचल में कैबिनेट मंत्री पद त्याग कर
संगठन कार्य को श्रेयस्कर समझा|
2019
में जब भाजपा पुनः सत्ता में आई तो मोदीजी ने भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमित
शाह को अपनी कैबिनेट में गृह मंत्री बना दिया| क्योंकि
भाजपा के संगठन चुनाव समूचे देश में चल रहे थे और नया
अध्यक्ष दिसम्बर 2019 में चुने जाने की सम्भावना थी, इसलिए
प्रथम वार कार्यकारी अध्यक्ष का पद सृजित किया गया और उस पर जून 2019 में
नद्दाजी को बैठा दिया|
1991में
भी हिमाचल केलिए यह पहला ही अवसर था जब प्रदेश के सपूत नद्दाजी को भाजपा राष्ट्रीय
युवा मोर्चा का अध्यक्ष बनाया गया|
श्री
नद्दाजी का जन्म 2 दिसम्बर 1960 को पिता श्री एन एल नद्दाजी और माता श्रीमती
कृष्णाजी के घर पटना (बिहार) में हुआ था|उन्होंने अपनी पढाई पटना के सेंट ज़ेवियर स्कूल में की|
स्नातक की डिग्री उन्होंने पटना विश्वविद्यालय से प्राप्त की |
फिर वे अपने प्रदेश चले गए और वहां वकालत की डिग्री उन्होंने
हिमाचल विश्वविद्यालय से प्राप्त की| इसी दौरान वह
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् की गतिविधियों में बहुत सक्रीय हो गए| इसी के माध्यम से वह स्वयं सेवक संघ के भी निकट आ गए|
नद्दाजी
के पिता एक शिक्षाविद थे| बाद में वह पटना विश्वविद्यालय के कुलपति भी बने|
नद्दाजी का जन्म और लालनपोषण एक
गैर-राजनीतिक शिक्षक परिवार में हुआ| जब लोकनायक जय प्रकाश
नारायण ने समपूर्ण क्रांति का आन्दोलन चलाया तो नद्दाजी उससे बड़े प्रभावित हुए|
वह छात्र संघर्ष समिति में शामिल हो गए| 13
वर्ष की अल्पायु में ही यह उनका राजनीति में प्रथम प्रवेश था| बाद में वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् में बहुत सक्रिय हो गए|
परिषद् के कार्य में उन्हें एक अलग पहचान मिली| वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के भी निकट हो गए| संगठन
कार्य में उनकी योग्यता, लगन, समर्पण
और त्याग की भावना को काफी सराहा गया|
नद्दाजी
के एक वरिष्ठ साथी ने बताया कि परिषद् ने उन्हें कोई विशेष कार्य सौंपा था|
वह उस कार्य को पूरण रूप से संपन्न और सफल बनाने में इतने व्यस्त हो
गए कि वह 6-7 दिन अपने घर ही नहीं गए| उनके पिताजी चिंतित हो
उठे| उन्हें ढूंढते-ढूंढते वह परिषद् कार्यालय पहुँचे जहाँ
उन्होंने अपने बेटे को एक चद्दर पर फर्श पर सोये पाया|
अपने बाल्यकाल में ही उन्होंने अखिल भारतीय कनिष्ठ तैराकी
चैंपियनशिप
में हिस्सा लिया जो दिल्ली में हुई थी|
1989-90
में नद्दाजी को कांगड़ा संसदीय क्षेत्र का प्रभारी बना दिया|
हिमाचल के मुख्य मंत्री बनने पर शांता कुमार जी ने लोक सभा की
सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया जिस कारण वहां उप-चुनाव हुआ| नद्दाजी
ने सारी रणनीति बनाई और शांता कुमारजी की चुनाव सभाएं कहाँ-कहाँ करवानी हैं यह तय
किया | जहाँ-जहाँ शांताजी ने पहुंचना होता था वह वहां पहले
पहुँच कर सरे इंतज़ाम की समीक्षा करते और ज्योंही शांता कुमारजी एक स्थल पर पहुँचते
वह अगले सभास्थल केलिए रवाना हो जाते| उन्हें यदि चिंता थी
तो बस पार्टी की सफलता की, अपने लिए श्रेय की नहीं|
11
दिसम्बर 1991को नद्दाजी श्रीमती जैश्री बैनर्जी,
पूर्व लोक सभा सदस्य की बेटी डॉ मल्लिका के साथ प्रणय सूत्र
में बंध गए| इस वैवाहिक गठबंधन ने उनकी राष्ट्रीय
राजनीति में जड़ें और भी पक्की कर दीं |
हिमाचल
भाजपा व विधान सभा में नए रक्त का संचार करने के उद्देश्य से पार्टी ने 1993 के
विधान सभा चुनाव में श्री नद्दा को चुनाव में भाग लेने केलिए कहा|
उन्होंने प्रथम बार बिलासपुर सीट से चुनाव लड़ा और जीते| पर प्रदेश में भाजपा बुरी तरह हार गयी| 68 सदस्यों
वाली विधान सभा में भाजपा को केवल 7 सीटों पर ही विजय मिल सकी| नद्दाजी पहली बार विधान सभा में विजयी रहे और साथ ही उन्हें विधायक दल का
नेता भी चुन लिया गया|
1998 में श्री प्रेम कुमार धूमलजी के नेतृत्व में हिमाचल में भाजपा सरकार
बनी और नद्दाजी को कैबनेट स्तर का मंत्री बना कर स्वास्थय व परिवार कल्याण का
प्रभार सौंपा गया| 2007 में प्रदेश में फिर भाजपा सरकार बनी
और इस बार उन्हें वन व पर्यावरण मंत्रालय का प्रभार मिला| उन्हीं
के इस कार्यकाल में प्रदेश में वनक्षेत्र के फैलाव में काफी वृद्धी रिकार्ड की गई|
इसी बीच श्री नद्दा के दिल व दिमाग की निपुणता और संगठन कार्य
की क्षमता तत्कालीन भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरिजी को प्रभावित कर गयीं|
उन्होंने नद्दाजी राष्ट्रिय स्तर पर पार्टी के संगठन में काम करने
केलिए कहा| नद्दाजी तुरंत मंत्री पद त्याग कर केंद्र में
संगठन कार्य सम्भालने पहुँच गए| गडकरिजी ने नद्दाजी को
पार्टी का महासचिव व केंद्रीय संसदीय बोर्ड का सदस्य
मनोनीत कर दिया| उन्होंने संगठन कार्य में अपनी छाप भी बना
ली|
2014 के लोक सभा चुनाव में नरेन्द्र मोदीजी के नेतृत्व में भाजपा ने
अपने ही बल पर पूर्ण बहुमत प्राप्त कर लिया| यह पहला मौका था
जब किसी एक विशुद्ध गैर-कांग्रसी दल को केंद्र में बहुमत प्राप्त हुआ हो| अपनी एनडीए सरकार में प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदीजी ने उस समय के भाजपा
अध्यक्ष श्री राजनाथ सिंह को गृह मंत्री बना दिया| पार्टी के
एक-व्यक्ति एक-पद के सिद्धांत का पालन करते हुए राजनाथ जी ने अध्यक्ष पद से
त्यागपत्र दे दिया| उस समय भी नद्दाजी का राष्ट्रीय अध्यक्ष
पद केलिए नाम उछला पर इसी बीच मोदीजी ने उन्हें अपने मंत्रिमंडल में स्वास्थय
मंत्री बना दिया| अमित शाहजी भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद
पर आसीन हुए |
2019 के लोक सभा चुनाव में नद्दाजी को उत्तर प्रदेश का प्रभारी
बनाया गया था| उनकी देखरेख में भाजपा ने 80 में से 64 सीटों
पर क़ब्ज़ा बनाये रखने में सफलता प्राप्त की और जो इस चुनाव में भाजपा केलिए प्रलय
की भविष्यवाणी कर रहे थे उन्हें झुठला दिया|
हॉल ही में भाजपा के संगठन चुनाव संपन्न हुए| भाजपा
अध्यक्ष अमित शाहजी के नेतृत्व में पार्टी के नए सदस्यों की करोड़ों की
संख्या में वृद्धि हुई और भाजपा को विश्व की सबसे बड़ी पार्टी होने का गौरव
प्राप्त हुआ| 2019 के लोक सभा चुनाव में अमित शाहजी गुजरात
से लोक सभा केलिए चुने गए थे| मोदीजी ने उन्हें अपने मंत्रिमंडल में गृह मंत्री बना दिया| इस कारण 20 जून को नद्दाजी को कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया गया | पिछले वर्ष चालु हुए संगठनात्मक चुनाव संपन्न होने पर 20 जनवरी को जगत
प्रकाश नद्दाजी को सर्वसम्मति से राष्ट्रीय अध्यक्ष चुन लिया गया| उसी दिन उन्होंने राष्ट्रीय अध्यक्ष का पदभार भी संभाल लिया| इस प्रकार नद्दाजी पार्टी में तीसरे सब से अधिक सशक्त व्यक्ति होकर उभरे|
नद्दाजी के उसी दिन हुए स्वागत समारोह में प्रधान मंत्री मोदीजी और
निवर्तमान पार्टी अध्यक्ष अमित शाहजी ने आशा व्यक्त की कि नद्दाजी के नेतृत्व में
पार्टी ऊंची से ऊंची ऊंचाइयों को छूती जायेगी|
मोदीजी ने नद्दाजी के साथ संगठन का कार्य करने की याद ताज़ा करते हुए कहा
कि जब वह हिमाचल प्रदेश के संगठन प्रभारी थे तो वह नद्दाजी के साथ स्कूटर पर बैठ
कर प्रदेश के कई स्थानों पर घूमा करते थे|
इस कार्यक्रम में वरिष्ठ नेता श्री लाल कृष्ण आडवानी और डॉ मुरली मनोहर
जोशी भी उपस्थित थे| अनेक नेताओं ने इस बात पर जोर दिया कि
भाजपा अलग दल है जिसमें छोटे से छोटा व्यक्ति भी पार्टी प्रधान बन सकता है और यहाँ
वंशावली का कोई महत्त्व नहीं है|
मृदुभाषी होने केलिए जाने-पहचाने जाने जाने वाले नद्दाजी छोटे-बड़े
सब उनसे बड़ी आसानी से मिल लेते हैं| वह सबकी सुनते हैं और
करते वही है जो देश व पार्टी हित में हो| आडम्बर और देख-दिखावे
से वह दूर रहते हैं| वह मशीन के पीछे से काम करने में
संतुष्ट रहते हैं| जहाँ तक पार्टी काम है उसे पूरा करने और
लक्ष्य प्राप्ति में वह कोई ढील या लापरवाही बर्दाश्त नहीं करते|
उनकी अर्धांगनि डॉ मल्लिका कालिज में इतिहास पढ़ाती हैं|
वह सही अर्थों में सफल व्यक्ति के पीछे एक महिला होने का उदाहरण
प्रस्तुत करती हैं| वह जानती है कि ज्यों-ज्यों उनके पति का
दायित्व बढ़ता जा रहा है त्यों-त्यों नद्दाजी का अपने परिवार को समय देना भी
कम होता जा रहा है| वह और उनके दोनों बच्चे इस तथ्य से अवगत
हैं और वह हर हालत में उनके साथ हैं| उन्हें भाजपा के इस मंत्र पर विश्वास है और उस पर ही चलते हैं जिसमें कहा गया है
कि राष्ट्र पहले, पार्टी बाद में और हम व हमारा परिवार अंत
में| वह सब कुच्छ करने को तैयार हैं जिससे राष्ट्र और पार्टी
के हित को बढ़ावा मिले और नद्दाजी इसका सूत्र बनें| नद्दाजी
पार्टी और देश को और से और ऊंचे शिखर पर ले जाते रहें इसी में उनकी पत्नी और बच्चे
खुश हैं|
पार्टी कर्यकर्ताओं में भी उनसे बड़ी उम्मीदें हैं| जनता व पार्टी कार्यकर्ताओं के समर्थन, समर्पण व
स्नेह से नद्दाजी को भी बड़ी उम्मीद है की वह सबकी आशाओं और आकांक्षाओं पर खरा
उतरेंगे| ***
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