हास्य–व्यंग
जापान के प्रधान मन्त्री करेंगे भारत का अनुसरण
बेटा: पिताजी।
पिता: हां, बेटा।
बेटा: हमारे प्रधान मन्त्री डा0 मनमोहन सिंह का जापान
दौरा तो बहुत सफल रहा।
पिता: यह तो हमारे देश के लिये तो अच्छा ही है न।
बेटा: पिताजी,
जापान के प्रधान मन्त्री तो डा0 मनमोहन सिंह से इतने प्रभावित हुये कि उन्होंने
कह दिया कि मैं तो डा0 सिंह का अनुसरण करना चाहूंगा।
पिता: यह तो बेटा भारत के लिये गर्व की ही बात है यदि जापान के प्रधान मन्त्री हमारा अनुसरण करें।
बेटा: पर पिताजी, जापान तो बहुत विकसित देश है न\
पिता: इसमें तो कोई शक नहीं, बेटा। दूसरे विश्व युद्ध में अमरीका
को जापान पर अणुबम ही फैंकना पड़ा था और तभी जापान ने हथियार डाले थे।
बेटा: पर
जापान फिर भी बम के ढेर से निकल कर एक विकसित देश बन गया। उसका विश्व में दबदबा
है।
पिता: यह
तो सच्चाई ही है।
बेटा: तो
फिर जापान किस बात में मनमोहनजी का अनुसरण करेगा\
पिता: बेटा, भारत एक बड़ा देश है। उससे दूसरे देशों को कई कुछ सीखने और अनुसरण करने
की बात होती है।
बेटा: पर
पिताजी, जापान की विकास दर तो बहुत अधिक है। भारत की तो विकास दर पिछले वर्ष केवल
5 प्रतिशत ही रह गई।
पिता: बेटा, और भी कई क्षेत्र हैं जहां जापान अनुसरण कर सकता होगा। जापान के प्रधान
मन्त्री ने यूं ही तो नहीं कह दिया होगा न।
बेटा: पिताजी,
जापान को तो मनरेगा, सूचना के अधिकार जैसे कानून की तो आवश्यकता होगी नहीं। न ही
उसे चाहिये होगा हमारा खाद्य सुरक्षा बिल जो संसद के पिछले सत्र में पास नहीं हो
सका।
पिता: बेटा, कई और मामले भी हो सकते हैं जहां वहां के प्रधान मन्त्री भारत का
अनुसरण करना चाहते होंगे।
बेटा: पिताजी, जापान में भ्रष्टाचार है\
पिता: बेटा, भ्रष्टाचार तो किस देश में नहीं है\ वहां भी है।
कई बार वहां के
प्रधान मन्त्रियों ने किसी मामले में संल्लिप्त होने के कारण त्यागपत्र दिये
हैं। पर इतना नहीं जितना कि इस बार भारत में उजागर हुआ है।
बेटा:
तब तो पिताजी, जापान के प्रधान मन्त्री केवल इस क्षेत्र
में ही वर्तमान सरकार
व प्रधान मन्त्री का अनुसरण
कर सकते
हैं। उनके पास वरन् अनुसरण करने के
लिये है ही
क्या\
पिता: बेटा, यह तू उनसे ही पूछ। मुझे नहीं पता।
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