हास्य-व्यंग
मम्मी, मुझे प्रधान मन्त्री बना दो।
एक बच्चा उछलता-फुदकता हुआ खेल कर आया और लिप्ट कर बोला, ''मम्मी, मम्मी,
मुझे प्रधान मन्त्री बना दो।''
मम्मी ने उसे बड़े ध्यान से देखा और सिर पर हाथ फेरते हुये कहा, ''न बेटा,
अभी नहीं।''
''क्यों\'' उसने मम्मी से अलग होते हुये पूछा।
मम्मी ने बड़े प्यार से कहा, ''इसलिये कि तुम अभी छोटे
हो।''
''पर मम्मी,'' उसने कहा, ''मेरे तो सभी हितैषी और दोस्त
कहते हैं कि तुम में प्रधान मन्त्री बनने के सभी गुण हैं।''
''फिर भी'', मम्मी ने बड़े दुलार से कहा, ''बेटा, अभी
नहीं।''
''अभी क्यों नहीं\'' बेटे ने झुंझला कर पूछा, ''मेरे दोस्त तो कहते हैं कि तेरी
मम्मी जब चाहे तुम्हें प्रधान मन्त्री बना सकती है।''
''ठीक है, बेटा'' मम्मी ने
उसे फुसलाते हुये कहा, ''अभी नहीं।''
''फिर भी अभी क्यों नहीं\'' बेटे ने खीज कर पूछा।
मम्मी ने फिर दोहराया,
''तुम अभी बच्चे हो, अक़्ल के कच्चे हो।''
बेटा चुप हो कर रह गया।
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