जीवन ऐसा भी
तेरी मज़ाक करने की आदत नहीं गई
एक जाट आया और उसने बिना बात के एक दुकारदार को ज़ोर
से दो चांटे जड़ दिये। ग़ुस्से में आकर दुकानदार ने चेतावनी दी कि तू एक और चांटा
मार और फिर उसका ख़मियाजा भुगत। जाट ने ज़ोर से एक और थमा दिया चांटा। दुकानदार को
बहुत ग़ुस्सा आ गया। उसने कहा कि मैं चेतावनी देता हॅू कि ऐसी हिमाकत फिर न करना
वरन् उसका परिणाम बुरा निकलेगा।
पर जाट फिर न माना और उसने एक और चांटा थमा दिया।
अब तो उस दुकानदार के ग़ुस्से की सीमा न थी। उसने जाट को ललकारते हुये कहा – अब आगे
हिम्मत मत करना वरन् मैं तेरी ऐसी-तैसी फेर दूंगा। तू सारी उम्र पछतायेगा कि तू
ने गलत आदमी से पंगा ले लिया।
पर जाट ने फिर दो चपत जड़ दी। अब तो दुकानदार से न रहा गया। हंसते हुये बोला –
छोड़ यार। तेरी बचपन की मज़ाक करने की आदत नहीं गई।
अब आप ही सोचिये कि यह कहानी किस पर फिट बैठती है।
14-03-2013
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