Saturday, November 12, 2016

हास्‍य-व्‍यंग सर्जिकल स्‍ट्राइक पाकिस्‍तान पर, दर्द कुछ भारतीय नेताओं के पेट में

हास्‍य-व्‍यंग              
         कानोंकान नारदजी के
सर्जिकल स्‍ट्राइक पाकिस्‍तान पर, दर्द कुछ भारतीय नेताओं के पेट में


बेटा:   पिताजी।
पिता:  हां बेटा।
बेटा:   आपको पता है कि भारतीय सेना ने पाक अधिकृत कश्‍मीर में घुस कर पाकिस्‍तान द्वारा चलाये जा रहे आतंकियों के अड्डों पर चुपचाप धावा बोल दिया और आतंकियों के लगभग 8-9 ठिकानों को तबाह कर दिया। इस आप्रेशन में लगभग 50 आतंकवादियों को मारकर ऊरी पर उनके हमले का बदला भी ले लिया है।  
पिता:  बेटा, यह तो देश के बच्‍चे-बच्‍चे को पता चल गया है। सब का सीना गर्व से तन गया है। सब को अपनी सेना की बहादुरी पर नाज़ है। सब अपने प्रधान मन्‍त्री मोदीजी पर भी गर्व कर रहे हैं कि उन्‍होंने पहली बार सेना को ऐसा कर देने के लिये झण्डी दिखाने की हिम्‍मत दिखाई।    
बेटा:   हां पिताजी, मोदीजी ने दिखा दिया कि उनकासीना कहने को ही 56 इंच का नहीं है, करने की हिम्‍मत दिखाने को भी है।
पिता:  बेटा, ऐसा पहली बार हुआ है। अब तक तो पाकिस्‍तान यही समझता फिरता था कि भारत धमकी देने में तो बड़ा दिलेर है पर कुछ कर दिखाने में नहीं। उन्‍हें तो यक़ीन हो गया था कि जो बादल बरसते हैं वह बरसते नहीं।  
बेटा:   पर मोदीजी ने पाकिस्‍तान का यह भ्रम तोड़ दिया। अब वह सकते में है। उसे यह समझ नहीं आ रहा कि वह क्‍या करे और क्‍या न करे।
पिता:  उल्‍टे इस विपदा की घड़ी में उसके मित्र देश भी उसके साथ खड़े नहीं हो रहे। वह अलग-थलग पड़ गया है।
बेटा:   पर पिताजी, पाकिस्‍तान के प्रधान मन्‍त्री नवाज़ शरीफ तो कह रहे हैं कि भारत ने कोई सर्जीकल धावा बोला ही नहीं। केवल सीमा पर एक छोटी सी फाइरिंग हुई है जिसमें उसके दो सिपाही ज़खमी हुये।  
पिता:  बेटा, झूठ ही तो पाकिस्‍तान की फितरत है, उसकी शक्ति। उसने तो कभी माना ही नहीं कि उसकी हार हुई है न 1965 में, न 1971 में और न कारगिल युद्ध में। जब उसकी फौजें पीछे हट रही होती हैं तो वह रेडियो और टीवी पर बड़े ज़ोर से दावा करता है कि उसकी फौजें विजय ही राह पर बड़ी तेज़ी से आगे बढ़ रही हैं।   
बेटा:   यह तो पिताजी मेरे को भी पता है कि पाकिस्‍तान इन तीनों लड़ाइयों में हारा है।
पिता:  फिर तू पाकिस्‍तान के इस झूठ पर क्‍यों वियश्‍वास कर रहा है?
बेटा:   पिताजी, मैं विश्‍वास नहीं कर रहा हूं। यह तो कांग्रेस के बड़े-बड़े नेता संजय निरूत्‍तम, पी चिदम्‍बरम व दिगविजय सिंह बोल रहे हैं। उन्‍होंने मांग की है कि पाकिस्‍तान के प्रापेगण्‍डा को झूठा साबित करने के लिये सेना सबूत पेश करें। 
पिता:  तू फिज़ूल की बातें मत करा कर ग़ैरजि़म्‍मेदाराना। तभी मुझे तेरे पर ग़ुस्‍सा आता है। यह तो हो ही नहीं सकता। कांग्रेस तो सदा ही एक देशभक्‍त पार्टी रही है। उसके नेता तो ऐसी भाषा बोल ही नहीं सकते। तूने पाकिस्‍तान के नेता को ऐसा बोलता देखा होगा और तू मुझे बता रहा है कि कांग्रेस के ये महान् नेता कह रहे थे।
बेटा:   पिताजी, आप मुझ पर फिज़ूल में नाराज़ हो रहे हैं। आप मुझे इतना बुद्धू समझते हैं कि मैं भारतीय और पाकिस्‍तानी नेताओं में फर्क नहीं समझता। मैंने कांग्रेस के इन सम्‍माननीय नेताओं को टीवी पर और अखबार में छपे उनके ब्‍यानों और फोटो को एक बार नहीं हज़ार बार देखा है। जो मैं कह रहा हूं वह सब उन्‍होंने ही कहा है। मैं टीवी लगा देता हूं। आप अपनी आंख से देख लो और अपने कान से सुन लो। 
पिता:  पर बेटा, मुझे तो यह सब देख और सुनकर अब भी विश्‍वास नहीं हो रहा।
बेटा:   विश्‍वास तो पिताजी मुझे भी नहीं हो रहा था। मैंने पहले सोचा कि यह कोई पाकिस्‍तानी होंगे क्‍योंकि पाकिस्‍तान के शासक और नेता ऐसा ही कुछ बोल रहे हैं। पर मैंने जब अपनी आंखें फाड़-फाड़ कर देखा और कान खरोद कर सुना तो मैं भी हैरान रह गया। ये हमारे देशभक्‍त किसकी भाषा बोल रहे हैं?
पिता:  बेटा, ऐसा तो किसी देश के नेता नहीं करते। न ऐसा अमरीका में हुआ, न इंगलैण्‍ड में और न फ्रांस में जहां ऐसी घटनायें हुईं। 
बेटा:   इसी कारण तो मैं परेशान हूं।
पिता:  हमारे देश में भी बेटा, कभी ऐसा नहीं हुआ। 1965 और 1971 के युद्धों में भी पाकिस्‍तान रेडियो रोज़ दावा करता जा रहा था कि उसने भारत के मीलों इलाकों पर भारत की सेना को खदेढ़ कर कब्‍ज़ा कर लिया है। पर भारत के हर नेता व नागरिक ने वही माना जो हमारी सरकार या सेना कह रही थी। श्री अटल बिहारी वाजपायी ने तो 1971 के युद्ध के दौरान यहां तक कह दिया था कि आज देश में और कोई नेता नहीं है। केवल एक नेता है और वह हैं श्रीमति इन्दिरा गांधी और सारा देश उनके पीछे है।      
बेटा:   पिताजी, तब भी विपक्ष ने मांग की थी कि पाकिस्‍तान के प्रापेगण्‍डा को झूठा साबित करने के लिये तत्‍कालीन प्रधान मन्‍त्री शास्‍त्रीजी या इन्दिराजी भारत की विजय के सबूत पेश करें? 
पिता:  नहीं बेटा। तब तो ऐसी घटिया बात कोई पार्टी या नागरिक सोच भी नहीं सकता था।  
बेटा:   यही नहीं पिताजी। हमारे दिल्‍ली के मुख्‍य मन्‍त्री केजरीवाल भी कांग्रेसियों से पीछे नहीं हैं। उनकी भाषा भी यही है।
पिता:  बेटा, उनकी तो बात ही छोड़ो। 
बेटा:   क्‍यों पिताजी? आखिर वह हमारे सम्‍माननीय मुख्‍य मन्‍त्री हैं।
पिता:  वह दिल्‍ली को तो सम्‍भाल नहीं पाते पर सारे देशों, सारे विश्‍व का बोझ उनके कन्‍धे पर है। लगता है जैसे सारी दुनिया की चिन्‍ता केवल उनको ही है। वह तो ऐसा दिखाना चाहते हैं मानो सारे विश्‍व की राजनीति व कूटनीति पर केवल इनका ही अधिकार है। वह सारी दुनिया व विश्व के सारे नेताओं को नासमझ समझते हैं।    
बेटा:   पिताजी, उन्‍होंने एमटैक कर रखी है।
पिता:  जहां तक मेरी छोटी सी जानकारी है एमटैक में राजनीति व विश्व कूटनीति नहीं पढ़ाई जाती।
बेटा:   पिताजी, कांग्रेसी नेताओं की तरह उनकी भाषा भी वही लगती थी जो पाकिस्‍तान बोल रहा है। वह भी वहीं मांग कर रहे थे जो पाकिस्‍तान कर रहा था।
पिता:  केजरीवालजी एक बहुत बड़े महत्‍वाकांक्षी नेता हैं। वह अपनी पार्टी का विस्‍तार बड़ी तेज़ी से करना चाहते हैं।
बेटा:   तो क्‍या वह अपनी पार्टी को एक अन्‍तर्राष्‍ट्रीय दल बना देंगे और उनकी पार्टी वहां चुनाव भी लड़ेगी?
पिता:  बेटा,  उनके नेतृत्‍व में सब कुछ सम्‍भव है। 
बेटा:   पर अब तो कुछ समाचार चैनलों ने पाकिस्‍तान के विरूद्ध की गई कार्रवाई की वीडियो भी जारी कर दी है। अब ये आप और कांग्रेस वाले क्‍या कहेंगे?
पिता:  वह इतनी जल्‍दी सन्‍तुष्‍ट होने वाले नहीं हैं, बेटा। वरन् उन्‍हें तो जनता से क्षमा मांगनी पड़ेगी। वह तो कह सकते हैं कि तसवीरों से यह साबित नहीं होता कि वह क्षेत्र पाकिस्‍तान था और फौज हमारी थी।
बेटा:   तब तो इसका कोई अन्‍त नहीं हो सकता। ‘’मैं न मानूं’’ पालिसी तो कहीं तक भी जा सकती है।  
पिता:  हमारी राजनीति की यही तो खासियत है।
बेटा:   यह तो है पिताजी। यदि कोई नेता मुझे कहे कि तू यह साबित कर कि तेरा नाम यही है तो मैं यह कैसे साबित कर सकता हूं?
पिता:  तू अपना प्रमाणपत्र दिखा देना।
बेटा:   पिताजी जब मैं अपना व आपका नाम बताऊंगा तो वह कह देंगे कि इन दोनों नामों के कई व्‍यक्ति हैं। तू साबित कर कि तू यही है।
पिता:  बेटा, तब तू अपना करैक्‍टर सर्टिफिकेट दिखा देना।
बेटा:   तब वह बोल देंगे कि स्‍कूल वाले तो हर एक को सर्टिफिकेट दे देते हैं कि इसका चालचलन बड़ा उच्‍च व आदर्श है पर बाद में निकलते हैं बहुत सारे बदमाश ही। 
पिता:  तो फिर बेटा ऐसा शक तो हर पर ही किया जा सकता है। यही प्रश्‍न तो उस प्रश्‍नकर्ता व हर नेता से भी किया जा सकता है। 
बेटा:   तब वह इसे बेहूदा और अपमानजनक प्रश्‍न बता कर शोर मचा देंगे।
पिता:  वैसे तो दावा कांग्रेस ने भी कर दिया है कि यूपीए शासनकाल में भी सर्जिकल स्‍ट्राईक कई बार की गई थीं। 
बेटा:   पर उन्‍होंने वह साक्ष्‍य प्रस्‍तुत नहीं किये जो आज वह मोदी सरकार से मांग रहे हैं। सेना ने तो इसका खण्‍डन कर दिया है।
पिता:  तो क्‍या हुआ? वह बड़ी आसानी से मोदी सरकार पर आरोप लगा देंगे कि वह सेना को साक्ष्‍य प्रस्‍तुत करने से रोक रही है। 
बेटा:   तब तो कांग्रेस ने एक बड़ा राजनैतिक खेल खेल दिया है। हींग लगे न फटकरी, रंग चोखा होय।
पिता:  बेटा, इसे ही तो राजनीति कहते हैं।      ***  

Courtesy: UdaiIndia Weekly (Hindi)

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