आज की फुहार
भलीमानस,
मुझे इतना याद मत कर
(18-03-2013)
एक गांव का अनपढ़ व्यक्ति शहर में काम ढूंढने चला।
जाते समय उसकी पत्नि ने बड़े प्यार से कहा – देखोजी, आपको जब भी छींक आये तो समझ
लेना कि मैं याद कर रही हूं।
''अच्छा'' कह कर वह आगे हो लिया।
जाते ही दो दिन बाद उसे शहर में ज़ोर का सर्दी-ज़ुकाम
हो गया। छींक-छींक कर उसका बुरा हाल था। हार कर वह एक व्यक्ति के पास गया और उसने
अपनी पत्नि को पत्र लिखवाया, ''भलीमानस, मुझे इतना याद मत कर। छींक-छींक कर मेरी
जान निकली जा रही है।''
(किसी
ने सुनाया था)
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