हास्य–व्यंग
ईश्वर, हमारी सत्ता केलिये इनके गुनाह मुआफ कर दे
बेटा: पिताजी।
पिता: हां, बेटा।
बेटा: पिताजी, मैंने फैसला किया है कि मैं भी अब चुनाव लड़ूंगा।
पिता: बेटा, यह बात छोड़। तू कैसे चुनाव लड़ पायेगा जब तेरे खिलाफ हत्या, डकैती, ब्लात्कार
आादि के एक दर्जन
मुकद्दमें चल रहे हैं।
बेटा: अभी तो फायदा है, पिताजी। लोग मुझ से डर कर ही वोट
दे देंगे।
पिता: चलो मान लिया कि तू जीत भी जायेगा, तो क्या हो जायेगा\
बेटा: तब तो दोनों ही
हाथों में लड्डू पिताजी।
पिता: कैसे\
बेटा: पिताजी, तब तो वही
अफसर जो आज मुझे 'ऐ' कह कर पुकारते हैं और मुझ से
बदतमीज़ी
करते हैं वही मुझ से मुआफी मांगने आयेंगे नाक रगड़ते और दया की भीख
मांगेंगे। अपने गुनाहों पर शर्मिन्दा होंगे।
पिता: बेटा, तेरे विरूद्ध
इतने मुकद्दमें हैं कि तेरे को तो सरकार एक दम सदन से बाहर करवा
देगी।
बेटा: पिताजी, लगता है आप
अखबार नहीं पढ़ते। सरकार ने तो कह दिया है कि वह 162
सांसदों तथा प्रदेशों में विधायकों को इस
कारण अयोग्य नहीं ठहरा सकती जब तक कि सर्वोच्च न्यायालय भी उनके दोषी होने की
मुहर न लगा दे। तब तक वह निर्दोष ही माने जायेंगे। दूसरे, सरकार ने तर्क दिया है
कि केन्द्र और कई प्रदेश सरकारें ब्लेड की धार पर अपने न्यून्तम बहुमत से चल
रही हैं। यदि यह सम्माननीय सदस्य ऐसे ही अयोग्य करार दे दिये गये तो अनेक
सरकारें ही गिर जायेंगी।
पिता: तो बेटा, सरकारें
अपराधियों की बैसाखियों पर चलेंगी\
बेटा: पिताजी, आप पता नहीं
कौन से समय की राजनीति की बात करते है। आजकल की सोच
तो
यह है कि सरकार चलनी चाहिये बैसाखियां चाहें किसी की हों।
पिता: पर बेटा, तेरे मामलों में तो सुनवाई जल्द हो जायेगी और
मुझे पता है तुम्हें सज़ा भी अवश्य होगी क्योंकि तेरे खिलाफ सबूत पक्के हैं।
बेटा: पिताजी, आप बहुत भोले हैं। जब मैं चुना जाऊंगा तो उसके बाद
मेरे विरूद्ध मुकद्दमें तो अपने आप ही ढीले पड़ जायेंगे। आपको पता है कि लालू व
अन्य अनेक नेताओं के खिलाफ मुकद्दमें कछुआ चाल से पिछले दो दशक से चल रहे हैं।
उनका कोई बाल-बांका कर पाया है क्या\
पिता: बात तो तेरी ठीक है पर...........
बेटा: पर क्या\ जब सैय्यां भये कोतवाल तो डर काहे का\ पिताजी, तब सरकार स्वयं
चाहेगी
कि हमारे पर आंच न आये क्योंकि हम पर आंच का मतलब होगा
सरकार पर संकट। तो ऐसी स्थिति में कौन सी सरकार अपने पांव पर कुल्हाड़ी मारना
चाहेगी\ मैं तो यहां तक आशावादी
हूं कि यदि कोई सदस्य ईश्वर को भी प्यारा होने लगेगा तो सरकार ईश्वर के आगे भी
गिड़गिड़ायेगी कि हमें सत्ता में बनाये रखने के लिये वह ऐसा ज़़ुल्म न ढाये।
पिता: यह तो बेटा जाने तू और तेरी सरकार।
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