हास्य–व्यंग
किसके साथ मनाऊं
'किस्स डे', 'हग डे' व 'वैलन्टाइन डे'\
बेटा: पिताजी।
पिता: हां बेटा।
बेटा: आपको पता है न कि आज 'किस्स डे' है, कल 'हग डे'
और दो दिन बाद 'वैलन्टाइन डे'।
पिता: बेशर्म तुझे अपने बाप से ऐसी बातें करने में शर्म
नहीं
आती\
बेटा: पिताजी, आप भी क्या
दकियानूसी बातें करते हैं। यह
21वीं सदी चल रही है। पश्चिम में तो पिता
पिता नहीं एक मित्र माना जाता है। मैं भी आपको यही समझ रहा हूं।
पिता: तू भारत में रहता
है या पश्चिम में\
बेटा: पिताजी, मैं रहता तो
भारत में ही हूं पर आपको पता
हैं कि आजकल सभी पश्चिम के रास्ते चल कर
आधुनिक बनना चाहते हैं।
पिता: अपनी सभ्यता भूल कर\
बेटा: पिताजी, आज कम्पोजि़ट
सभयता का ज़माना है।
भारत इसी लिये तो पीछे रह गया कि उसने आध्यात्म
व परम्पराओं के ही प्रसारण के लिये काम किया। आपको पता है कि आजकल वही दुकान काम्याब
है जिस में हर तरह का सामान उपलब्ध है। इसलिये हमें भी यह सब करना चाहिये ताकि
विदेशों से लोग केवल आध्यात्म व शिक्षा के लिये ही न आयें बल्कि मौज-मस्ती व
भोग-विलास के लिये भी।
पिता: यह भाषण तू किसके साथ मनाऊं औरों
को दे। मुझे तू यह बता कि तू पूछना क्या चाहता है\
बेटा: मैं अपनी पत्नि को
किस्स व हग तो रोज़ ही करता हूं। उस से अपने प्यार का इज़हार भी रोज़ ही करता
हूं। तो इन विशेष पर्वों पर यह सब विशेष रूप से किस अन्य विशेष महिला से मनाऊं\
पिता: बदतमीज़, आगे के
लिये कभी मेरे साथ ऐसी ओछी बातें मत करना। पूछना है तो अपने उन आधुनिक आक़ाओं से
ही पूछ।
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