Wednesday, April 3, 2013

यदि शासक नेक सलाह सुननी बन्‍द कर दे तो




विचारणीय
यदि शासक नेक सलाह सुननी बन्‍द कर दे तो 

रामायण का एक प्रसंग याद आता है। रावण सीताहरण का षड़यन्‍त्र रच रहा था। तभी उसे याद आया कि इस कार्य में उसे अपने भान्‍जे मारीच की सहायता लेनी चाहिये जिसके पास दैवीय शक्ति थी जिसके अनुसार वह कोई भी रूप धारण कर सकता था। रावण उसके पास पहुंचा और उसे अपना सारा षड़यन्‍त्र समझा दिया। उसने बताया कि मारीच को एक सुन्‍दर स्‍वर्णिम मृग का रूप धारण करना है जो राम के आश्रम के सामने से गुज़रे और सीता को उसे पाने के लिये आकर्षित व मनमोहित कर दे। वह एक ऐसा मायाजाल रचेगा कि सीता राम को उसे पकड़ने के लिये स्‍त्रीहठ से मजबूर कर देगी। जब राम उसके पीछे आयेंगे तो वह उन्‍हें अपने पीछे दूर ले जायेगा। इसी बीच वह राम की आवाज़ में लक्षमण को पुकारेगा मानों राम किसी मुसीबत में पड़ गये हों। इस पर सीता लक्षमण को राम की सहायता के लिये जाने के लिये मजबूर कर देंगी और रावण सीता का हरण कर लेगा।

सारी बात सुनकर मारीच ने रावण को कहा कि वह ऐसा न करे। ऐसा करना धर्मसंगत नहीं है और उसे शोभा नहीं देता।

रावण का पापी मन कोई नेक सलाह सुनने के लिये तैय्यार न था। उसने मारीच को कहा कि वह उससे कोई शिक्षा-प्रवचन सुनने नहीं आया है। उसने मारीच को कहा कि उसे वही करना होगा जो वह चाह रहा है।

मारीच ने रावण को एक बार फिर सोचने के लिये कहा। रावण क्रोध में आ गया। उसने मारीच को चेतावनी के स्‍वर में पूछा कि जैसा करने को वह कह रहा है तुम करोगे या नहीं\

मारीच ने कहा, ''देखो मामा, मैं तुम्‍हें नेक सलाह दे रहा हूं। आप जो करने जा रहे हैं वह पाप है और वह तुम्‍हें विनाश की ओर धकेल देगा।''

रावण गरज कर बोला, ''रावण को न करने वाला अभी पैदा नहीं हुआ। मैं तुम से शिक्षा लेने नहीं आया। बताओ कि तुम करते हो कि नहीं\''

मारीच ने शान्‍त भाव से कहा, ''मामा, मेरी एक बात याद रखना जब राजा एक नेक सलाह सुनना या मानना बन्‍द कर दे तो समझो उसके बुरे दिन आ गये।  तुम जैसा कह रहे हो मैं वह करने को तैय्यार हूं क्‍योंकि यदि मैं मना कर दूंगा तो तुम मुझे मार दोगे। इस लिये तुझ पापी के हाथों मारे जाने की बजाय राम के तीर से मारे जाना श्रेयस्‍कर है। मुझे स्‍वर्ग तो मिलेगा।''  

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