Sunday, April 21, 2013

व्‍ंयग -- राजनीति के दाव-पेच तू उनसे ही पूछ


व्‍ंयग
राजनीति के दाव-पेच तू उनसे ही पूछ

बेटा:     पिताजी।
पिता:    हां बेटा।
बेटा:     आज मुझे आपसे लम्‍बी चर्चा करनी है।
पिता:    पर बेटा, पर किस विषय पर?
बेटा:     आज की राजनीति पर पिताजी।
पिता:    बेटा, मुझे राजनीति की समझ तो कम है पर फिर
    भी कर चर्चा।
बेटा:     पिताजी, श्रीमति सोनिया गांधी 5 वर्ष की उस बच्‍ची
का कुशलक्षेम पूछने अस्‍पताल पहंची जहां उसका इलाज चल रहा था।
पिता:        बेटा, वह बहुत महान् महिला हैं। उन्‍होंने एक
मानविक फर्ज़ निभाया है।
बेटा:     पर पिताजी हमारे पड़ोस की बच्‍ची भी तो अस्‍पताल
में जि़न्‍दगी और मौत से लड़ रही है, उसे कोई महानुभाव देखने नहीं आया
पिता:    तू बड़ा मूर्ख है। उसके साथ कोई बलात्‍कार हुआ है जो कोई उसे देखने जाये?
बेटा:     चलो, यह तो समझ आ गया। पर पिताजी, सोनियाजी ने तो यह भी कहा है कि अब बातों का नहीं कुछ कर दिखाने का समय आ गया है।
पिता:    ठीक ही तो कहा है बेटा।
बेटा:     इसका तो मतलब यह हुआ कि अभी तक सरकार बातें ही कर रही थी।
पिता:    यह तो बेटा मैं नहीं कह सकता।
बेटा:     हमारे प्रधान मन्‍त्री भी आये दिन की बलात्‍कार की घटनाओं से बहुत दु:खी हैं।
पिता:    यह तो स्‍वाभाविक ही है बेटा। हमारे प्रधान मन्‍त्री बहुत नेक इन्‍सान हैं। उनका दिल ऐसी मार्मिक घटनाओं से जल्‍दी पिघल जाता है।
बेटा:     पर पिताजी, एक रिपोर्ट के अनुसार तो हमारे देश में हर दो घंटे में एक बलात्‍कार हो जाता है। ऐसी स्थिति में तो उनका बहुत बुरा हाल जो जाता होगा?
पिता:    इसमें तो कोई शक नहीं बेटा।
बेटा:     पिताजी, एक और खबर बड़ी चर्चा में है।
पिता:    क्‍या बेटा?
बेटा:     समाचारों के अनुसार संयुक्‍त संसदीय समिति ने 2जी स्‍पैक्‍ट्रम स्‍कैम में प्रधान मन्‍त्री और वित्‍त मन्‍त्री को किसी दोष से मुक्‍त कर दिया है। उसने इस भ्रष्‍टाचार का सारा दोष तत्‍कालीन संचार मन्‍त्री ए राजा के सिर मढ़ दिया है।
पिता:    इसमें कौनसी बड़ी बात है? हमारे तो प्रधान मन्‍त्री इतने भोले व सज्‍जन पुरूष हैं कि उनके बारे कुछ ऐसा सोचा ही नहीं जा सकता कि वह कुछ अनैतिक कर सकते हों। उसी प्रकार हमारे वित्‍त मन्‍त्री भी बहुत गुणी और विद्वान् हैं। आखिर जि़म्‍मेदारी तो मन्‍त्री ही की बनती है न।
बेटा:     पर पिताजी, आपको पता है कि हमारे संविधान में यह प्रावधान है कि हर ठीक-ग़लत कार्य केलिये मन्त्रिपरिषद सांझे रूप से उत्‍तरदायी होगी।
पिता:    मैंने तुझे पहले ही कहा कि मैं सरकार, संविधान व राजनीति के इन दाव-पेचों से अनभिज्ञय हूं।
बेटा:     पर पिताजी, इसी प्रकार कोलगेट घोटाला भी हुआ है। तब प्रधान मन्‍त्री इस विभाग के प्रभारी मन्‍त्री थे। फिर भी वह अपने आपको इस सब से बड़े घोटाले के लिये दोषी व उत्‍तरदायी नहीं मानते जैसे कि ए राजा को माना जा रहा है। यह विरोधाभास क्‍यों?
पिता:    मैंने बेटा तुम्‍हें पहले ही बता दिया कि मैं इन सरकारी व राजनीतिक खेलों की बारीकियां मेरी समझ से बाहर हैं। तू यह सब उनसे ही पूछ। 




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