Wednesday, February 10, 2016

फिल्‍म में मेरा रोल कैसा लगा?

फिल्‍म में मेरा रोल कैसा लगा?

एक व्‍यक्ति फिल्‍म देख कर आया। उसने अपने दोस्‍त को बताया कि वह फिल्‍म उसे बहुत अच्‍छी लगी। दोस्‍त ने पूछा — उसमें तुझे मेरा रोल कैसा लगा?
तेरा रोल? उस व्‍यक्ति ने बड़ी हैरानी से पूछा। मुझे तो सारी फिल्‍म में तू कहीं नहीं दिखा।
दोस्‍त ने कहा — दोबारा देख कर आना और मुझे बताना कि मेरा रोल कैसा लगा।
दोस्‍त था इसलिये वह फिल्‍म दोबारा देखने चला गया। बड़े ध्‍यान से देखा पर दोस्‍त कहीं नहीं दिखा। व्‍यक्ति ने दोस्‍त को कहा — तू फिज़ूल में मत बोल। मैंने तेरे लिये दोबारा पैसे खर्च कर बड़े ध्‍यान से देखा पर तू तो कहीं था ही नहीं।
कलाकार दोस्‍त बोला — तू एक बार फिर देख मेरे लिये। उस व्‍यक्ति ने फिर कहा — तू यार मेरा बेवकूफ मत बना। तू मुझे कहीं नहीं दिखा। मेरी तो आंखें फट गई़ ढूंढते-ढूंढते।
दोस्‍त ने कहा — तू मेरे लिये एक बार फिर देख ध्‍यान से। ले, टिकट के पैसे भी मैं देता हूं। ध्‍यान से देखना।
दोस्‍ती के चक्‍कर में वह फिर चला गया देखने। पर वह फिर विफल रहा अपने कलाकार दोस्‍त को फिल्‍म में ढूंढ पाने में।
वह व्‍यक्ति खीज गया। तू फिज़ूल की बात कर रहा है। तू तो फिल्‍म में है ही नहीं। मैं दावे से कह सकता हूं।
दोस्‍त ने उसकी अज्ञानता पर हैरानी व्‍यक्‍त करते हुये कहा – तू भी यार कुछ नहीं। तू सारी फिल्‍म में अपने दोस्‍त को ही नहीं पहचान सका।
खीजकर उस व्‍यक्ति ने कहा – अब, तू ही समझा कि सारी फिल्‍म में तू है कहां?
उसकी नासमझी पर चुटकी लेते हुये दोस्‍त ने कहा – तूने देखा न खलनायक फिल्‍म के नायक को पीट-पीट कर उसका कचूमर निकाल देता है और वह अधमरा हो जाता है?
हां, यह तो मैंने देखा। पर तू कहां था? उस व्‍यक्ति ने पूछा।
दोस्‍त ने बताया — जब खलनायक अधमरे नायक को बोरी में डालकर अपने कंधे पर टांग कर ले जा रहा था तो उस बोरी मे मैं ही तो था।                                        ***
(किसी ने यह सुनाया था)       

             

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