हास्य-व्यंग
कानोंकान नारदजी के
केजरीवालजी को कदम-कदम पर परेशान करते मोदीजी
बेटा: पिताजी।
पिता: हां, बेटा।
बेटा: पिताजी, दिल्ली में सरकार मोदीजी की है?
पिता: बेटा, तेरे को पता नहीं कि पिछले दो वर्ष के अधिक समय से दिल्ली में केन्द्र की भाजपानीत सरकार सत्ता में है?
बेटा: पिताजी, केन्द्र में तो मोदीजी की सरकार है, यह तो मैं जानता हूं। मैं तो दिल्ली प्रदेश की बात कर रहा हूं।
पिता: कमाल कर रहा है, तेरे को यह भी नहीं पता कि दिल्ली में अरविन्द केजरीवालजी की सरकार है?
बेटा: पिताजी, मुझे तो यह भी पता है। मैं तो यह जानना चाहता हूं कि यदि सरकार केजरीवालजी की है तो दिल्ली में हर सफलता का श्रेय केजरीवालजी को जाता है और हर असफलता के लिये भी वह ही जि़म्मेवार हैं। फिर वह हर बात के लिये मोदीजी को क्यों दोषी ठहराते हैं?
पिता: बेटा, देश में अभिव्यक्ति की पूर्ण स्वतन्त्रता है। केजरीवालजी भी स्वतन्त्र हैं। वह जो चाहे कह सकते हैं।
बेटा: पर पिताजी, केजरीवालजी तो कहते फिरते हैं कि देश में अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता का अभाव है। इस बात का ढिंढोरा तो वह जेएनयू और हैदराबाद यूनिवर्सिटी मामलों पर टिप्पणी करते समय कई बार पीट चुके हैं।
पिता: बेटा, यह तो केजरीवालजी को ही निणर्य करना है कि उन्हें क्या कहना है और क्या नहीं।
बेटा: तो पिताजी, जब सरकार केजरीवालजी की है तो हर काम के लिये मोदीजी कैसे उत्तरदायी हैं?
पिता: बेटा, इतना मत भूलना कि वह हर उपलब्धि का श्रेय तो स्वयं लेते हैं पर जहां वह विफल होते हैं उसके लिये दोष मोदीजी के नाम मढ़ देते हैं।
बेटा: पिताजी, केजरीवालजी स्वयं व उनके मन्त्री स्वयं कुछ नहीं करते?
पिता: यह कैसे हो सकता है? मन्त्री हैं, वेतन-भत्ते लेते हैं तो काम करना तो उनका कर्तव्य बनता है।
बेटा: तो फिर पिताजी, स्वयं केजरीवालजी व उनके मन्त्री क्यों कहते फिरते हैं कि मोदीजी उनको काम नहीं करने देते?
पिता: सुना तो मैंने भी है पर समझ नहीं आता।
बेटा: पिताजी, केजरीवाल सरकार ने विज्ञापन जारी किये हैं और भाषणों में कहते फिरते हैं कि वह अमुक कार्य करना चाहते थे, योजना चलाना चाहते थे पर मोदीजी ने उस काम को कर रहे अफसर ही बदल दिये।
पिता: हां, यह विज्ञापन तो मैंने भी पढ़ा है।
बेटा: पिताजी, जब एक अफसर बदल जाता है तो उसके स्थान पर दूसरा अधिकारी भी तो लगा दिया जाता है। फिर क्या दूसरा अधिकारी काम नहीं करता?
बेटा: यह कैसे हो सकता है? सरकार सब को बराबर का वेतन देती है। यदि काम न करे तो उसके विरूद्ध कार्रवाई भी तो की जा सकती है। केजरीवाल सरकार ने तब उनके विरूद्ध कुछ किया क्यों नहीं?
पिता: यह तो बेटा वही ही जानें।
बेटा: इसका मतलब यह तो नहीं कि वह स्वयं ही नहीं चाहते कि वह काम हो पर उसका दोष मोदी सरकार पर डाल देने से वह एक तीर से दो शिकार साध लेते हैं। अपना उद्देश्य भी पूरा हो गया और दोष भी मोदीजी के सिर लग गया। जनता में बुरे बने तो मोदीजी।
पिता: बेटा, यह पालिटिक्स बड़ी टेढ़ी खीर है।
बेटा: पर पिताजी, केजरीवालजी तो बड़े-बड़े दावे करते फिरते हैं कि उनकी सरकार ने तो इतना काम कर दिखाया है जितना कि अब तक की कोई सरकार नहीं कर पाई है। तो फिर यह सब कुछ मोदीजी के सहयोग के बिना कैसे सम्भव हो गया?
पिता: बेटा, यही तो समझ नहीं आ रहा कि यदि मोदीजी केजरीवाल सरकार को काम ही नहीं करने देते तो जो काम का वह दावा कर रहे हैं, वह कैसे हो रहे हैं?
बेटा: पिताजी, जब दिल्ली में मोदीजी काम नहीं होने दे रहे पर फिर भी होते जा रहे हैं। तो क्या यह ईश्वर की देन है?
पिता: यह तो हो सकता है बेटा। ईश्वर तो महान् है।
बेटा: पिताजी, मुझे याद आया कि केजरीवालजी तो कहते थे कि वह ईश्वर में विश्वास नहीं करते।
पिता: बेटा तू भूल गया कि बाद में केजरीवालजी ने कह दिया था कि अब उन्हें विश्वास हो गया है कि ईश्वर का भी अस्तित्व है।
बेटा: उसके बाद जब उन्होने देखा कि काम तो दिल्ली सरकार में अपने आप ही होते जा रहे हैं?
पिता: अब तो बेटा, पंजाब में वह दरबार साहिब के दर्शन भी कर आये और मॅाफी भी मांग ली है।
बेटा: तब तो पिताजी, आपकी बात ही सच हो गई कि पालिटिक्स में आदमी को कई धंधे करने पड़ते हैं।
पिता: यही नहीं बेटा, आवश्यकता पड़ने पर तो गधे को भी बाप बनाना पड़ता है।
बेटा: आपके कहने का क्या मतलब यह है कि केजरीवालजी के मोदीजी पर यह आक्रमण भी पालिटिक्स ही है और कुछ नहीं?
पिता: यही नहीं तो और क्या है? मोदीजी केजरीवालजी के कोई रिश्तेदार तो हैं नहीं जो उन्होंने आपस में कोई ज़मीन-जायदाद बांटनी है जिसके लिये वह लड़ रहे हैं।
बेटा: पर उनकी लड़ाई से तो ऐसा ही आभास मिलता है।
पिता: बेटा, सत्ता भी तो एक जायदाद ही है जिसको हथियाने के लिये लड़-मर रहे हैं।
बेटा: अब समझा पिताजी कि क्यों लोगों ने पार्टी को ही परिवार में बदल दिया है ताकि सत्ता की जायदाद का बंटवारा न हो और परिवार में ही बनी रहे।
पिता: सीधी सी बात है। नेहरूजी ने सत्ता की जायदाद इन्दिराजी को सौंपी। इन्दिराजी ने अपना उत्तराधिकारी पहले संजय गांधी को बनाया। उसकी अकस्मात् दु:खद मृत्यु के बाद अपने बड़े बेटे राजीव को उत्तराधिकारी बना दिया।
बेटा: पर 1991 में राजीवजी की मृत्यु के बाद तो यह श्रंखला टूट गई।
पिता: कहां टूटी? सोनियाजी ने पांच वर्ष तो लोगों को भ्रम में अवश्य रखा पर ज्योंहि उन्हें मौका मिला तो 1996 में कांग्रेस अध्यक्ष की गद्दी सम्भाल ली। जब 2004 में अवसर मिला, पहले तो वह प्रधान मन्त्री बनने केलिये तैयार थीं पर पता नहीं क्या हुआ कि उन्होंने गद्दी त्याग कर डा0 मनमोहन सिंह को प्रधान मन्त्री बना दिया पर सत्ता की कूंजी अपने हाथ में रखी ठीक उसी तरह जैसे एक पारम्परिक सास बहू कों कहती है कि घर की मालकिन तो अब तू ही है पर किसी चीज़ को हाथ मत लगाना।
बेटा: पिताजी ठीक उसी तरह जैसे आजकल दिल्ली में केजरीवाल सरकार चल रही है। मनमोहन सरकार ने घेटाले और भ्रष्टाचार करने में रिकार्ड कायम कर दिया और केजरीवाल सरकार भी कुछ कम नहीं रही। उसके लगभग एक-तिहाई विधायक या तो जेल में हैं या उन पर बदालतों में आपराधिक मामले चल रहे हैं।
पिता: हां, यह तो ठीक है। मैंने तो सोशल मीडिया पर यह भी पढ़ा कि एक ने लिखा है कि तिहाड़ जेल के मुखिया ने सरकार बनाने का दावा ठोक दिया है। उसका कहना है कि जो विधायक उसकी जेल में प्रवास कर चुके हैं उन सभी ने उसे समर्थन देने का विश्वास दिलाया है।
बेटा: पर पिताजी केजरीवालजी की एक बात तो सराहनीय है कि उन्होंने परिवारवाद को बढ़ावा नहीं दिया।
पिता: पर तूने यह समाचार नहीं पढ़ा कि केजरीवालजी की धर्मपत्नि ने भी समय पूर्व सेवानिवृति केलिये प्रार्थनापत्र दे दिया है?
बेटा: तो क्या हो गया? वह भी अब जनसेवा करना चाहती होंगी।
पिता: हां, ठीक उसी तरह जैसे उनके पति कर रहे हैं।
बेटा: बात तो आपकी ठीक है। चारा घेटाले में जेल चले जाने पर लालूजी ने भी अपनी पत्नि राबड़ीजी को मुख्य मन्त्री बना कर प्रदेश की सेवा करने का मौका ही तो दिया था।
पिता: बेटा, कुछ भी कहो, राबड़ीजी ने सरकार तो बुरी नहीं चलाई थी।
बेटा: पिताजी, सरकार केजरीवालजी कौनसी बुरी चला रहे हैं?
पिता: बात तो तेरी ठीक है। जो ठीक हो जाता है उसे कहते हैं मैंने किया और जहां वह फेल रहते हैं तो कह देते हैं कि मोदीजी नहीं करने दे रहे।
बेटा: पिताजी, केजरीवालजी तो गला फाड़-फाड़ कर कह रहे हैं कि उनके मन्त्री व विधायक निर्दोष व शरीफ हैं। उन्होंने कोई अपराध नहीं किया। मोदीजी उन्हें बदले की भावना व राजनीतिक प्रतशिोध से उन्हें फंसा रहे हैं।
पिता: बेटा, राजनीति में आने से पूर्व केजरीवालजी को जज तो थे?
बेटा: नहीं। वह तो एक इनकमटैक्स अधिकारी थे।
पिता: तो वह अपने विधयाकें के निर्दोष होने का फैसला कैसे सुना रहे हैं?
बेटा: पिताजी, ठीक उसी तरह जैसे हर पिता अपने बच्चे के निर्दोष होने की दुहाई देता है।
पिता: तब अपराध किसने किया?
बेटा: पर यहां उन्होंने मोदीजी पर बड़ी कृपा की है। उन्होंने यह नहीं कहा है कि अपराध भी मोदीजी ने किया है और फंसा उनके आदमियों को दिया गया है।
पिता: हां इतनी महानता तो केजरीवालजी ने अवश्य दिखाई हैं।
बेटा: पिताजी, मौसम विभाग ने भविष्यवाणी की थी कि इस बार मानसून पहले से अधिक होगी। पर दिल्ली में तो यह सच नहीं हो रहा।
पिता: बेटा, मुझे तो लगता है कि इसमें भी मोदीजी की ही शरारत है। मौसम विभाग केन्द्र के अधीन है। मोदीजी दिल्ली में वर्षा ही नहीं होने दे रहे जबकि भाजपा शासित प्रदेशों में इन्द्रदेव बहुत मेहरबान हैं।
बेटा: पर पिताजी जब हो रही है तो उससे सारी दिल्ली में सड़कों पर पानी इकट्ठा हो जा रहा है जिससे जनता बहुत परेशान हो रही है।
पिता: बेटा, यह भी मोदीजी की है शरारत है। वह हर मोड़ पर केजरीवालजी को बदनाम करना चाहते हैं।
बेटा: पर पितजी, यह तो केजरीवालजी ने कहीं नहीं कहा है।
पिता: बेटा, वह हमारे मुख्य मन्त्री हैं, हमारे नेता हैं। क्या हम उनका इतना भी मन नहीं पढ़ सकते? हम उनकी कुछ अनकही बातें भी समझ सकते हैं।
Courtesy: Uday India (Hindi)
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