हास्य-व्यंग
'नपुंसक', खुर्शीद व मोदी
--- अम्बा चरण वशिष्ठ
बेटा: पिताजी।
पिता: हां,
बेटा।
बेटा: पिताजी,
आपको पता है कि सलमान खुर्शीद ने नरेन्द्र
मोदी को नपुंसक कहा है\
पिता: यह तो मैंने भी पढ़ा व सुना है।
बेटा: क्या सलमान
खुर्शीद कोई डाक्टर हैं और उन्होंने मोदी
का डाक्टरी परीक्षण किया हुआ है\
पिता: नहीं बेटा, खुर्शीदजी तो देश के माननीय विदेश मन्त्री हैं।
बेटा: फिर उन्हें कैसे पता चला कि मोदी नपुंसक हैं\
पिता: हां बेटा, ऐसी बात का प्रमाण तो कोई पत्नि या डाक्टर
ही दे सकता है।
बेटा: फिर
खुर्शीद ने ऐसा प्रमाणपत्र कैसे दे दिया\ वह तो अपनी बात पर अडिग हैं और अपने शब्द वापस लेने को भी
तैय्यार नहीं हैं हालांकि ऐसे शब्द इस्तेमाल किये जाने की राहुल गांधी ने भी
भर्त्सना की है।
पिता: वैसे मेरी जानकारी के मुताबिक न तो खुर्शीद ही
समलैंगिक हैं और न मोदी।
बेटा: और खुर्शीद तो विवाहित हैं और उनका दाम्पत्य
जीवन भी बड़ा सुखी व सम्पन्न है।
पिता: तेरी इस बात पर मुझे एक घटना याद आ गई। एक बार
किसी शहर में मेरा अपने एक पुराने सहपाठी से अचानक मिलना हो गया। उसके साथ दो बच्चे
चल रहे थे। मैंने पूछा, आपके लड़के\ वह तपाक से बोला, हां नाम तो मेरे ही चढ़े हैं बाकी असलियत
तो इनकी मां को ही पता होगा। मैं उसकी यह बात सुन कर हंस पड़ा।
बेटा: पिताजी, ऐसा ही एक किस्सा मुझे भी किसी ने सुनाया था। इमरजैंसी के
दौरान नसबन्दी का बड़ा ज़ोर चला था। उन दिनों सरकारी कर्मचारी इसी ताक में रहते
थे कि उन्हें नसबन्दी के लिये कोई केस मिल जाये। उनको इनाम मिलता था। एक बार एक
अधिकारी के हाथ एक सीधा-साधा व्यक्ति लग गया। अधिकारी ने पूछा- तुम्हारे कितने
बच्चे हैं\ उसे बोलने में कुछ कठिनाई थी। लड़खड़ाती आवाज़ में बोला –
पांच। उन्होंने उसे पकड़ा और उसकी नसबन्दी कर दी। कहा- अब तुम सुखी जीवन व्यतीत
करोगे और आगे कोई और बच्चा भी नहीं होगा। वह सीधा-साधा लड़खड़ाती भाषा में बोला-
सॉब, अब भी होते रहेंगे। पहले बच्चे भी मेरे नहीं हैं।
पिता: तू मुझ से फिज़ूल की बकवास बातें मत करा कर।
बेटा: पर पिताजी, इस सारी बात का निष्कर्ष क्या निकला\
पिता: तेरा सिर।
जा तू उनसे ही पूछ जिन्होंने ऐसा कहा है।
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