आज की फुहार
अखबार से चलता है स्पीड का पता
31-07-2013
एक पत्रकार रोडवेज़ की एक बस में सफर कर रहा था।
उसने सोचा क्यों न ड्राईवर का इन्टरव्यू ही ले लूं। वह सब से आगे ड्राइवर के
बराबर की सीट पर बैठ गया जो खाली थी। उसने ड्राईवर को कहा कि आपके साथ सफर कर बड़ी
खुशी हो रही है। उसने बताया कि मैं एक पत्रकार हूं और आपका इन्टरव्यू लेना चाहता
हूं। पत्रकार ने पूछा कि बात शुरू की जाये\ पर ड्राईवर ने कोई जवाब नहीं दिया। पत्रकार ने अपना प्रश्न
फिर दोहराया पर फिर भी कोई ध्यान नहीं दिया ड्राईवर ने। उसने अपनी इच्छा तीन-चार
बार प्रकट की पर ड्राइवर मस्त अपनी गाड़ी चलाये जा रहा था। कुछ दूरी पर कण्डक्टर
सवारियों की टिकटें काट रहा था। पत्रकार ने उसकी ओर देखा। कण्डक्टर समझ गया उसने
सीटी बजा दी। उसके बाद ज्यों ही पत्रकार ने ड्राईवर से प्रश्न किया तो उसने उसके
अभिवादन का जवाब दे दिया। पत्रकार ने पूछा कि आप पहले मेरे साथ क्यों बात नहीं कर
रहे थे\
ड्राईवर ने कि जब मैं गाड़ी चलाता हूं तब
मैं सिर्फ कण्डक्टर की सीटी सुनने के बाद ही कुछ करता हूं। उसने कहा कि आपने जो
कुछ पूछना है अब पूछो।
पत्रकार ने कहा कि ड्राईवर साहिब, मुझे आपकी
गाड़ी का तो स्पीडोमीटर ही ख्राब लग रहा है।
ड्राईवर ने कहा, ''हां, यह तो कभी चलता ही
नहीं''।
पत्रकार ने पूछा, ''तो आपको कैसे पता चलता
है कि गाड़ी कितनी स्पीड पर चल रही है\''
''यह तो बड़ा आसान है। स्पीड का पता तो हम
सवारियों के आव-भाव से ही जान लेते हैं'', ड्राईवर ने बड़े आत्मबल से हंसते हुये
कहा।
पत्रकार ने कहा, ''मैं समझा नहीं। यह कैसे
सम्भव है\''
''देखो पत्रकार साहब, यह तो बहुत ही आसान
है'', ड्राईवर ने समझाया। ''जब तक तो सवारियां हंसती-खेलती, गप्पें मारती रहती
हैं तो हम समझ जाते हैं कि स्पीड 40-50 ही है।''
''जब स्पीड इससे बढ़ जाये तो\''
''जब कोई सवारी अपनी माला जप कर ईश्वर को
याद करना शुरू कर देती है। जब कोई बूढ़ी यह कहना शुरू कर देती है कि भगवान् मेरी
रक्षा करना, अभी मुझे एक बेटी की शादी करनी है, तो हमें पता चल जाता है कि स्पीडोमीटर
की सूई 100-110 को लांघ चुकी है।''
''और जब इससे आगे निकल जाये तो\''
ड्राईवर ने ठहाका मारा और कहा, ''इसका पता
तो लोगों को अगले दिन अखबार पढ़ कर ही पता चलता है।''
(एक
बार बस में चल रही एक सीडी में सुना था)
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