व्यंग
कोयले की दलाली में धन भी काला?
बेटा: पिताजी।
पिता: हाँ बेटा।
बेटा: पिताजी, हमारे प्रधान
मंत्री डॉ0 मनमोहन सिंह ने
कहा है कि पैसा पेड़ों पर नहीं उगता।
पिता: यह तो बेटा
उन्होने ठीक ही कहा है। हमारे सभी विद्वान
भी यही कहते आए हैं।
बेटा: हाँ पिताजी। मैंने भी पैसा कहीं पेड़ पर लगा
नहीं
देखा।
पिता: यह तो बेटा
सच्चाई है। मनमोहन सिंह जी तो जाने-माने
विश्वविख्यात अर्थशास्त्री हैं। उनसे ज़्यादा कोई नहीं जानता।
बेटा: पर पिताजी, पी
चिदम्बरम और मोंटेक सिंह अहलूवालिया भी तो हैं?
पिता: बेटा, अगुआ तो
हमारे प्रधान मंत्री ही हैं। वह तो मात्र
उनके सहयोगी हैं।
बेटा: पर पिताजी, अभी हाल
ही में कोयला खदानों में एक घोटाला हुआ
जिसमें बड़ा शोर हुआ कि लोगों ने बहुत
पैसा कमाया।
पिता: बेटा, इसीलिए
तो कहते हैं कि कोयले की दलाली में मुंह
काला।
बेटा: पर पिताजी, वह
कोयले की खदाने हैं या पैसे का खजाना?
पिता: बेटा, जब वहाँ
से कोयला निकाला जाता है और बेचा
जाता है तो उसमें पैसा ही कमाया जाता है।
बेटा: तो इसका मतलब तो यह हुआ कि वह तो पैसे की खान निकली।
पिता: बेटा जो लोग रातों-रात
पैसा कमाना चाहते हैं वह ही इस धंधे में पड़ते हैं।
बेटा: पिताजी, कोले की
खदानों में से जो धन निकलता है वह तो
काला ही होता होगा?
पिता: बेटा, मुझे
नहीं मालूम यह तो तू सरकार से ही पूछ या
उनसे जो इस धंधे मैं लगे हुये हैं।
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