हास्य–व्यंग
मिलते रहते हैं मगर प्यार नहीं होता
बेटा- पिताजी।
पिता- हां, बेटा।
बेटा- हमारे प्रधान मन्त्री डा0 मनमोहन सिंह पाकिस्तान के प्रधान मन्त्री गिलानी से एक
बार फिर मुलाकात करने जा रहे हैं सियोल में।
पिता- अच्छी बात है न। आपसी मिलना-जुलना तो चलता ही रहना चाहिये।
बेटा- पिछले पांच-सात सालों में तो वह कई बार मिल चुके हैं।
पिता- यह तो हमारे प्रधान मन्त्री का बड़प्पन है कि अपनी ओर से सतत प्रयास करते जा
रहे हैं कि भारत-पाक रिश्ते सुधरते जायें और अमन-शान्ति बनी रहे।
बेटा- अनेक आतंकी घटनाओं के बाद भी जिनमें पाकिस्तान का सीधा हाथ दिखाई देता था
हमारे प्रधान मन्त्री जी ने पाकिस्तान से मुंह नहीं मोड़ा। पिता- हमारे प्रधान मन्त्री बहुत धैर्यवान और इराइे के पक्के हैं। बेटा- पिताजी, अभी तक कुछ बात तो बनी नहीं। पिता- बेटा, यह दो देशों की बीच की बातें हैं। बात बनने में तो समय लगता ही है। बेटा- ऐसा लगता है कि दोनों में मुलाकात तो होती रहती है पर प्यार नहीं होता।
पिता- बदतमीज्। पिता से ऐसी बातें करते तुझे शर्म नहीं आती? तू सीधे प्रधान मन्त्री जी से
ही पूछ।
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