Sunday, March 25, 2012

हास्‍य–व्‍यंग — मिलते रहते हैं मगर प्‍यार नहीं होता


हास्‍य–व्‍यंग
मिलते रहते हैं मगर प्‍यार नहीं होता
बेटा-         पिताजी।
पिता-        हां, बेटा।
बेटा-         हमारे प्रधान मन्‍त्री डा0 मनमोहन सिंह पाकिस्‍तान के प्रधान मन्‍त्री गिलानी से एक      
             बार फिर मुलाकात करने जा रहे हैं सियोल में।
पिता-        अच्‍छी बात है न। आपसी मिलना-जुलना तो चलता ही रहना चाहिये।
बेटा-         पिछले पांच-सात सालों में तो वह कई बार मिल चुके  हैं।
पिता-        यह तो हमारे प्रधान मन्‍त्री का बड़प्‍पन है कि अपनी ओर से सतत प्रयास करते जा
            रहे हैं कि भारत-पाक रिश्‍ते सुधरते जायें और अमन-शान्ति बनी रहे।
बेटा-         अनेक आतंकी घटनाओं के बाद भी जिनमें पाकिस्‍तान का सीधा हाथ दिखाई देता था
       हमारे प्रधान मन्‍त्री जी ने पाकिस्‍तान से मुंह नहीं मोड़ा।                    पिता-        हमारे प्रधान मन्‍त्री बहुत धैर्यवान और इराइे के पक्‍के हैं।                     बेटा-         पिताजी, अभी तक कुछ बात तो बनी नहीं।                              पिता-        बेटा, यह दो देशों की बीच की बातें हैं। बात बनने में तो समय लगता ही है।    बेटा-         ऐसा लगता है कि दोनों में मुलाकात तो होती रहती है पर प्‍यार नहीं होता।
पिता-        बदतमीज्। पिता से ऐसी बातें करते तुझे शर्म नहीं आती? तू सीधे प्रधान मन्‍त्री जी से
            ही पूछ।

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