Wednesday, March 21, 2012

दुश्‍मन हों तो मायावती व मुलायम जैसे जो आड़े वक्‍त पर तारणहार बनें



हास्‍य-व्‍यंग

दुश्‍मन हों तो मायावती व मुलायम जैसे जो आड़े वक्‍त पर तारणहार बनें

बेटा:      पिताजी!
पिता:      हाँ, बेटा।
बेटा:      मायावती की वसपा और मुलायम की सपा दोनों ने ही संप्रग सरकार को समर्थन देकर सरकार को स्थायित्व प्रदान कर दिया है।
पिता:      यह तो अच्छी बात है। सरकार में स्थायित्व और निरंतरता तो बहुत आवश्यक होती है।
बेटा:      पर हाल ही के उत्तर प्रदेश चुनाव में तो काँग्रेस के युवराज राहुल गांधी इन दोनों दलों के विरूद्ध जिहाद खड़ा किए हुये थे।
पिता:      बेटा, यह सच है। पर यही तो राजनीति है।
बेटा:      यह सब कुछ समझ नहीं आ रहा।
पिता:      बेटा, तू अभी छोटा है। यह बातें तेरी समझ के बाहर हैं। जब तू बड़ा हो जाएगा तो सब समझने लगेगा।
बेटा:      पर राहुल तो कहते थे कि वह यूपी से वसपा का भ्रष्टराज और सपा का गुंडाराज खत्म कर के ही चैन लेंगे और उसके लिए ही उनहों ने जनता से वोट भी मांगे थे।
पिता:      बेटा, हमारे यहाँ जनतंत्र है। जनता कर निर्णय अंतिम होता है। जनता ने मायावती का भ्रष्टराज तो समाप्त कर दिया न।
बेटा:      और सपा का गुंडाराज स्थापित कर दिया?
पिता:      बेटा, मैं यही तो कह रहा हूँ कि यही प्रजातन्त्र है। हमें जनता का फैसला सिर आंखों पर लेना चाहिये।
बेटा:      पर पिताजी, केंद्र में भ्रष्टाचार की तो पहले ही कमी नहीं थी जो मायावतीजी के भ्रष्टराज की सहायता/सहयोग की आवश्यकता पड़ती?
पिता:      बेटा, सरकार को सत्ता बनाए रखने के लिया मायावतीजी के सहयोग की आवश्यकता अवश्य थी।
बेटा:      केंद्र में तो गुंडाराज नहीं था। तो क्या सपा के गुंडाराज की भी आवश्यकता थी?
पिता:      तू बहुत बहस करता हैा बेटा, यह तू मुझ से नहीं, उन से पूछ।

No comments:

satta king chart