Friday, September 18, 2015

कौन मांग रहा है सुषमा-वसुन्‍धरा त्‍यागपत्र?

ललितगेट
 कौन मांग रहा है सुषमा-वसुन्‍धरा त्‍यागपत्र?

यह तो सच्‍च है कि राई को पहाड़ और पहाड़ को राई बना देना ही आज की राजनीति है। यही आज हो रहा है कम से कम ललित मोदी, विदेश मन्‍त्री सुषमा स्‍वराज और राजस्‍थान की मुख्‍य मन्‍त्री वसुन्‍धरा राजे के मामले में तो सच्‍चमुच्‍च ही।
अब तो यह भी लगने लगा है कि मानवाधिकार भी केवल आतंकवादियों और सज़ा प्राप्‍त अपराधियों के लिये ही सुरक्षित हैं और वह ही मानवीय करूणा के पात्र होते हैं। निर्दोषों का न तो मानवाधिकार होता है और न वह दया के हकदार।
आतंकवादी भुल्‍लर को पहले आतंकी घटनाओं व हत्‍याओं का दोषी पाये जाने के बाद फांसी की सज़ा दी गई थी। बाद में किन्‍हीं कारणों से उसकी सज़ा उम्रकैद में बदल ही गई। अब उसे करूणामूलक आधार पर अपने घर के समीप अमृतसर जेल स्‍थानान्‍तरित कर दिया गया है क्‍योंकि उसकी पत्नि ने प्रार्थना की थी कि उसे समीप की जेल में रखा जाये जहां से उसका परिवार उसकी देखभाल कर सके। ऐसे ही एक और अपराधी पर भी ऐसी ही करूणा दिखाये जाने के समाचार भी आ रहे हैं।
इसी प्रकार नितिश कटारा हत्‍याकाण्‍ड में 25 वर्ष की सज़ा काट रहे सुखदेव यादव को भी अदालत ने दो सप्‍ताह की पैरोल पर घर भेज दिया है ताकि वह अपनी सज़ा के विरूद्ध अपील की तैय्यारी कर सके।
यह मामले अकेले नहीं हैं। अनेकों ऐसे उदाहरण हैं जिनमें आतंकियों व अपराधियों पर दया की बौछार लगा दी गई है। पर जब आईपीएल के पूर्व आयुक्‍त ललित मोदी को इसी प्रकार के करूणामूलक आधार पर लंदन से पुर्तगाल जाने में सहायता की गई जहां उसकी पत्नि का कैंसर का ऑप्रेशन हो रहा था तो सारी दुनिया में आफत मच गई। सुषमा स्‍वराज व वसुंधरा राजे के त्‍यागपत्र या उन्‍हें बर्खास्‍त करने के लिये ज़मीन-आस्‍मान इकट्ठा किया जा रहा है। क्‍या केवल इस लिये कि ललित मोदी कोई खूंखार आतंकी या अपराधी नहीं है और इसलिये वह अपनी पत्नि के ऑप्रेशन के समय उसके साथ खड़ा नहीं हो सकता?  उसका कोई मानवाधिकार भी नहीं है और न ही वह किसी प्रकार की करूणा का हकदार। उस पर किसी ने दया कर दी तो वह अपराध बन गया है।
ललित मोदी के विरूद्ध अभी तक कोई आपराधिक मामला सामने नहीं आया है। उसके विरूद्ध आयकर तथा विदेशी पूंजि कानून के उल्‍लंघन के आरोप हैं जो आज हज़ारों राजनेताओं, उद्योंगपतियों व सिनेमा से जुड़े बंधुओं के विरूद्ध चल रहे हैं। मोदी के वकील के अनुसार न तो किसी अदालत ने उसे भगौड़ा करार दिया है और न उसके विरूद्ध किसी प्रकार का आपराधिक मामला ही लंबित है। वह भारत नहीं आ रहा तो केवल इसलिये कि उसे यहां अपनी जान को खतरा लगता है।
यह ठीक है कि विरोधी दल रोज़ नये से नया मामला सामने ला रहे हैं जिसमें वसुंधरा राजे व उसके परिवार और ललित मोदी के बीच कई व्‍यावसायिक संबंधों की चर्चा है। पर उनमें किसी आपराधिक मामले की बू तो अभी तक नहीं आई है।
और शोर कौन मचा रहा है? वह जो राबर्ट वाडरा के घोटालों पर उसे रोज़ निर्दोष होने के प्रमाणपत्र जारी करते रहते हैं । वह जिन्‍होंने 1985 में यूनियन कार्बाइड के अध्‍यक्ष को सरकारी जहाज़ मुहैय्या करवाया था भोपाल से दिल्‍ली आने के लिये और फिर दिल्‍ली से भाग जाने दिया — उस एंडरसन को जो भोपाल गैस त्रासदी के कारण 15,000 से अधिक निर्दोष व्‍यक्तियों की मौत और हज़ारों को अपाहज कर दिये जाने के लिये जि़म्‍मेवार है और जिसके विरूद्ध आपराधिक मामला दर्ज था।
वह जिन्‍होंने बोफर्स घोटाले के आरोपी इतालवी कारोबारी क्‍वात्रोची को भारत से भाग जाने दिया जिसके विरूद्ध रैड कार्नर नोटिस विश्‍वभर में जारी था।
वह जिन्‍होंने अपने कार्यकाल में हज़ारों-लाखों करोड़ रूपयों के अनेकों घोटालों के लिये उत्‍तरदायी किसी भी मन्‍त्री से त्‍यागपत्र नहीं मांगा और उल्‍टें उनकी पीठ ही थपथपाई।
क्‍या इन महानुभावों या उनके नेताओं ने त्‍यागपत्र देने की नैतिकता दिखाई थी? नैतिकता दहाड़ मारने की नहीं अपनाने की चीज़ है।

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