मज़ाक: ''थिंक टैंक'' अब हिन्दी शब्द
भाषा को सबल-समृद्ध बनाने की आड़ में कमज़ोर व पंगू बनाने का षड़यन्त्र
पिछले दिनों एक प्रतिष्ठित
दैनिक में एक समाचार छपा कि हमारे हिन्दी भाषा के विशेषज्ञों ने अंग्रेज़ी शब्द ''थिंक टैंक'' को हिन्दी भाषा के शब्द कोश में इसे
हिन्दी का शब्द ही कबूल कर लिया है। इस समाचार से मुझ जैसे अनभिज्ञ को हैरानी भी
हुई और निर्णय लेने वालों पर दया आई। क्या हमारी हिन्दी भाषा इतनी असहाय, कमज़ोर
और कंकाल हो गई है कि इस अंग्रेज़ी शब्द का कोई उपयुक्त हिन्दी
शब्द ही नहीं हो सकता? ''थिंक'' का हिन्दी शब्दार्थ है ''सोच या विचार'' और ''टै़ंक''
का ''ताल या तालाब''। तो ''थिंक टैंक'' केलिये हिन्दी शब्द ''सोचताल'' या ''विचारताल'' क्यों नहीं हो सकता? इसका शब्दार्थ ''सोच या विचार खूह'' या ''सोच
या विचार कुआं या बाउली'' भी हो सकता था। पर निर्णायक मण्डल
को हिन्दी शब्द से अधिक अंग्रेज़ी शब्दों से प्रेम लगता है। ऐसे निर्णयों से
हिन्दी भाषा को समृद्ध व सबल बनाने का दायित्व प्राप्त ये लोग हिन्दी का ही
अपमान कर रहे हैं और ऐसा आभास दे रहे हैं कि हिन्दी एक अपूर्ण भाषा है।
यह ठीक है कि हमें कम्प्यूटर,
वैबसाईट, लैपटॉप सरीखे शब्दों के लिये हिन्दी में शब्द घड़ने का व्यर्थ प्रयास
नहीं करना चाहिये। पर जिनके लिये कर सकते हैं और करना भी चाहिये उन पर हमारे
विशेषज्ञ अपना दिमाग़ क्यों नहीं घिसना चाहते या अपने अनुभव के आधार पर परिवर्तन
क्यों नहीं करना चाहते?
मैं एक उदाहरण देना चाहता हूं। approach road के लिये अनुबाद हम
करते हैं सम्पर्क मार्ग। मैंने एक प्रान्त में देखा कि वह इसके लिये और भी अच्छा
शब्द प्रयोग में लाते हैं। मान लीजिये कि एक सड़क पालम गांव केलिये सम्पर्क
मार्ग है। उन्होंने पट्टिका में लिखा ''पालम गांव के लिये पहुंच मार्ग''। यह सब
से उपयुक्त है। हमें इसे अपनाना चाहिये। ***
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