हास्य-व्यंग
मानस पति-पत्नि व वरमाला
एक पुरूष व एक महिला बुद्धीजीवी गहन दार्शनिक चर्चा में लीन होकर विचारों का आदान-प्रदान कर रहे थे। पुरूष बोला, ‘’मैं तो महान् विचारक अरस्तू से बहुत प्रभावित हूं और अपने आपको उनका मानस पुत्र समझता हूं’’।
’’बहुत अच्छी बात है’’, महिला बोली।
‘’मैं तुम्हारे भी आचार-व्यवहार व विचारों से भी बहुत प्रभावित हूं’’, पुरूष ने आगे कहा।
महिला ने मुस्कराते, शर्माते हुये कहा, ‘‘धन्यवाद, मेरे चरित्र को आंकने-परखने के लिये।’’
’’मैं आपको अपनी मानस पत्नि मानता हूं’’, पुरूष ने गर्व से बात आगे बढ़ाई।
सुनते ही महिला ने सैंडल उतारा। ‘’यह क्या कर रही हो?’’ पुरूष ने घबराते हुये पूछा।
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